उत्तराखंड स्थित मसूरी के वन प्रभाग से 7 हजार 375 बाउंड्री पिलर गायब हो गए हैं. इस संदर्भ में हल्द्वानी स्थित मुख्य वन संरक्षक कार्ययोजना IFS संजीव चतुर्वेदी ने प्रमुख वन संरक्षक समीर सिन्हा को चिट्ठी लिखी है. चतुर्वेदी ने इस मामले में एसआईटी जांच की सिफारिश की है. सिन्हा को भेजे गए पत्र में लिखा किया गया है कि - मसूरी वन प्रभाग के रायपुर रेंज क्षेत्र में लंबे समय से वन भूमि पर अतिक्रमण हो रहा है. स्थानीय स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते यह कब्जे वर्षों से जारी हैं.
आईएफएस संजीव चतुर्वेदी द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि खनन और अतिक्रमण के मामलों में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध रही है. शिकायतें और विवाद लगातार सामने आने के बावजूद अब तक किसी पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई. आरोप है कि अधिकारियों की शह पर बड़े पैमाने पर वन भूमि पर कब्ज़ा कर अवैध निर्माण का खेल चल रहा है.
पत्र में इस अधिकारी की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह
पत्र में वर्तमान में मसूरी वन प्रभाग के प्रभारी वनाधिकारी के रूप में कार्यरत आईएफएस अधिकारी की अमित कंवर की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिह्न लगाए गए हैं. आरोप है कि उनके कार्यकाल में न केवल अवैध कब्ज़े बढ़े बल्कि इस पूरे प्रकरण की अनदेखी की गई. पत्र में यहां तक लिखा गया है कि यदि शीघ्र कार्रवाई न हुई तो मसूरी वन प्रभाग का शेष बचा वन क्षेत्र भी अतिक्रमणकारियों द्वारा कब्जा कर लिया जाएगा.
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इस मामले में जांच अधिकारी आईएफएस राजीव धीमन ने बताया कि जांच की जा रही है. डीएफओ मसूरी से पूरी रिपोर्ट मांगी है और सारे रिकॉर्ड देने को कहा है.स्थलीय मुआयना तो कर लिया है लेकिन अभी विस्तृत रिपोर्ट आनी बाकी है, उसके बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है.
मसूरी के डीएफओ अमित कंवर ने बताया कि इस मामले में हम तेजी से जांच कर रहे है और लगभग एक हफ्ते में पूरी रिपोर्ट बना के अधिकारियों को भेजी जाएगी. उन्होंने बताया कि जल्द ही इस मामले में एक एफआईआर भी लिखवाई जाएगी.
प्रमुख वन संघरक्षक समीर सिन्हा से एबीपी लाइव की बात हुई. उन्होंने देर शाम फोन के माध्यम से बात करते हुए कहा कि मुझे अभी तक चिट्ठी नहीं मिली है. लेकिन संबंधित प्रकरण में पहले से जांच चल रही है. इस विषय में जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही कोई कार्यवाही की जा सकती है. फिलहाल इस मामले में जांच चल रही है अभी कुछ भी कहना सही नहीं होगा मामले की जांच पूरी होने पर ही कुछ कहा जा सकता है.
इस पत्र में मसूरी के DFO 2013 बैच के आईएफएस अधिकारी अमित कंवर का नाम भी सामने आया है. इसमें लिखा गया है की उनकी सम्पत्तियों की जांच CBI या ED से कराई जानी चाहिए,जांच CBI या ED से कराई जा सकती है. आरोप है कि कंवर के पास हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आधा दर्जन से अधिक सम्पत्तियां हैं.
वन विभाग ने पत्र में यह भी सवाल उठाया है कि जिन अफसरों पर भ्रष्टाचार और अवैध सम्पत्तियों के आरोप हैं, उन्हें लगातार Integrity Certificate और Outstanding Grading क्यों दी जाती रही? पत्र मे कें साफ लिखा है कि यदि समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो भ्रष्टाचार के खिलाफ घोषित Zero Tolerance नीति बेकार साबित होगी.
वर्ष 2017-18 से 2023-24 के बीच मसूरी वन प्रभाग में अतिक्रमण के मामलों में उतार-चढ़ाव को मिला. 2017-18 में जहां 233 मामले दर्ज और 110.17 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा था, वहीं सात साल बाद यह घटकर 142 मामले और 49.34 हेक्टेयर रह गया. इस अवधि में विभाग ने बीच-बीच में कार्रवाई करते हुए कुल 101 अतिक्रमण हटाए और लगभग 60 हेक्टेयर जमीन मुक्त कराई, लेकिन अभी भी 142 मामले और दर्जनों हेक्टेयर भूमि अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है.