तेजस्वी यादव ने कहा- अगर यही हाल रहा तो बिहार जल्द ही कोरोना का ग्लोबल कैपिटल बन जाएगा
तेजस्वी ने कहा कि हमने सरकार से कई बार मांग की कि जांच की संख्या बढ़ाई जाए क्योंकि संक्रमण को लॉकडाउन से रोका नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि सरकार के कामों से लोगों में भारी निराशा है.
पटना: सूबे में कोरोना से उत्पन्न स्थिति को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत अन्य विपक्ष के नेता लगातार राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था और स्थिति से निपटने के लिए किए जा रहे काम पर सवाल उठा रहे हैं. इसी क्रम में शनिवार को तेजस्वी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि बिहार में फिर से लॉकडाउन बढ़ाया गया है. जिस तरह से कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है, इसको लेकर हम सब ने कई बार बिहार सरकार को सचेत किया है और फिर से सरकार को सचेत करना चाहते हैं.
तेजस्वी यादव ने कहा कि 11 जुलाई से 17 जुलाई तक लगातार बिहार में सबसे ज्यादा पॉजिटिव मरीज मिलने का रिकॉर्ड है. हमने सरकार से कई बार मांग की कि जांच की संख्या बढ़ाई जाए, क्योंकि संक्रमण को लॉकडाउन से रोका नहीं जा सकता. लॉकडाउन एक तरह का पॉज बटन का काम करता है. पिछले बार भी लॉकडाउन हुआ, लेकिन सरकार के कामों से लोगों में भारी निराशा है. बाढ़ और कोरोना के प्रकोप को देखते हुए लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है.
‘औसत जांच सिर्फ चार हज़ार’ तेजस्वी ने कहा कि हमने लगातार मांग की है कि सरकार सही आंकड़े दिखाए. साथ ही अपनी कमियों को जल्द से जल्द दूर करे. लॉकडाउन से सरकार को एक मौका मिलता है, लेकिन इस मौके का सरकार कोई इस्तेमाल नहीं कर पा रही है. बिहार के मुकाबले अन्य बड़े राज्यों में टेस्टिंग प्रतिदिन 30 से 35 हजार होती है, लेकिन बिहार में पिछले दो दिन में केवल 10 हजार जांच हुई हैं. उससे पहले अगर हम देखें तो अप्रैल से लेकर जुलाई तक रोजना जांच की औसत संख्या 4159 है.
‘सरकार फेल हो चुकी है’ आरजेडी नेता ने कहा कि आप सभी को पता होगा देश के प्रधानमंत्री को भी मुख्यमंत्री ने कई बार बोला है कि हम 20 हजार टेस्ट रोजाना करेंगे. स्वास्थ्य मंत्री को भी निर्देश दिए गए कि प्रतिदिन 10 हजार टेस्ट होने चाहिए लेकिन पिछले दो दिन को छोड़कर बाकी सारे महीने को हम देखें तो यह औसत पूरे देश में सबसे कम है, जो निराशाजनक है. मौजूदा समय में देश भर में सबसे अधिक कोरोना का कहर बिहार में है. लेकिन इसको लेकर यहां कोई तैयारी नहीं है. यहां मरीज की देखभाल परिजन ही कर रहे हैं, वही ऑक्सीजन से लेकर इंजेक्शन तक लगा रहे हैं. बार-बार कहा जा रहा है कि यहां डॉक्टर और नर्स की कमी है, लेकिन सरकार व्यवस्था करने में पूरी तरह से फेल हो चुकी है.
‘बिहार बहुत जल्द हॉट स्पॉट कैपिटल बन जाएगा’ तेजस्वी ने कहा कि बिहार में रोज हजार से कम पॉजिटिव केस आ रहे हैं. अगर पटना को ही हम देखें तो यहां सौ से भी अधिक कंटेंमेंट जोन बन गए हैं और स्थिति भयावह होते जा रही है. बिहार अब कोविड 19 को लेकर नेशनल कैपिटल हो रहा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो बहुत जल्द बिहार ग्लोबल कैपिटल बन जाएगा. बिहार की जो स्थिति है उससे वह बहुत जल्द कोरोना हॉटस्पॉट कैपिटल बन जाएगा.
‘आंकड़ों में हेर फेर किया जा रहा है’ वहीं कोरोना के सरकारी आंकड़ों की विश्वसनीयता के संबंध में तेजस्वी ने कहा कि सरकार आंकड़ों के साथ खिलवाड़ कर रही है. लोगों को सही आंकड़ा नहीं बताया जा रहा है. एक दिन की टेस्टिंग को सरकार दो दिन में बता रही है. जैसे अगर एक दिन में 2 हजार पॉजिटिव केस पाए जाते हैं तो उसे दो दिन में बताती है जैसे आज बताएगी 11 सौ और अगले दिन 9 सौ लोग पॉजिटिव हुए. इसके पहले भी स्वास्थ्य सचिव सुबह प्रेस कांफ्रेंस करके जानकारी देते फिर शाम में भी उन्ही चीजों को बताया जाता, क्या इसी वजह से उनका तबादला किया गया? ऐसे में हमारी मांग है कि सरकार को सही आंकड़े देने चाहिए.
‘नीतीश सरकार फेल इसलिए केंद्र से टीम आ रही’ कोरोना काल में सरकार की ओर से किए जा रहे काम के संबंध में उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के कामों को लेकर सभी लोगों में निराशा है और उनकी विफलता को देखते हुए केंद्र सरकार आज अपनी एक कमेटी भेज रही है. यह कमेटी नीतीश जी के विफलता को लेकर ही यहां आ रही है. हमारी केंद्र से मांग है कि ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर और टेस्टिंग किट बिहार को उपलब्ध कराई जाएं.
‘जो दावा किया वह नहीं हुआ’ तेजस्वी ने कहा कि हम तो पूछना चाहते हैं कि वेंटिलेटर को लेकर बिहार सरकार का जो दावा था तो अब तक कितने वेंटिलेटर यहां उपलब्ध हैं? कितने खरीदे गए? कितने लोगों का सही से इलाज हुआ है? जो भर्ती हो रहे हैं उनक कोई सुनने वाला नहीं है और संक्रमण तेजी से फैल रहा है. सीएम हाउस, राजभवन और सचिवालय से लेकर पूरे मंत्रिमंडल में कई मंत्री से लेकर कई विधायक, अधिकारी, एसपी, डीएम तक इसकी चपेट में हैं. ऐसे हालात में हम सभी का गंभीर होना बहुत आवश्यक है. उन्होंने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार को रोजाना 30 से 35 हजार टेस्टिंग कैपिसिटी बढ़ाने की जरूरत है और इसमें रेंडम टेस्टिंग भी होनी चाहिए, मोबाइल टेस्टिंग की भी सुविधा होनी चाहिए, जिससे हर जगह जाकर टेस्टिंग की जाए.
दूसरे राज्यों के अपेक्षा बिहार ज्यादा राशि खर्च कर रहा है इस सवाल पर तेजस्वी का कहना है कि हमने आपको आंकड़े दिए हैं कि बिहार जैसे जितने भी बड़े राज्य हैं, वहां रोज 30 से 35 हजार टेस्टिंग हो रही है. यहां तो टेस्ट ही नहीं हो रहे हैं और जहां तक पैसे की बात है, तो ये पता नहीं कि यह कहां खर्च कर रहे हैं.
तेजस्वी ने कहा कि बिहार में डॉक्टर ड्यूटी के लिए ठेले पर जा रहा है कोरोना सेंटर, पीएमसीएच में बच्ची के साथ रेप हो जाता है, अस्पतालों में एडमिशन नहीं होता है और जहां तक जांच की बात है तो जब सरकार के गृह सचिव की ही जांच नहीं हो पा रही है. मरीजों के परिजनों ने वीडियो साझा किया जिसमें साफ दिखा की यहां कोई देखने वाला नहीं है.
‘जिन डॉक्टर की जान गई उन्हें शहीद का दर्जा मिले’ पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि हमारी मांग है कि जिन डॉक्टरों की जान गई है, जिन्होंने अपने जान पर खेलकर कई जिंदगी बचाईं उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाए और एक करोड़ रुपए भी उनको दिए जाएं. सत्तर घाट के अप्रोच रोड की पुलिया टूटने को लेकर इनका कहना है कि जब शरीर से सिर कट गया तो फिर शरीर का क्या काम. आखिर पुल किस लिए बना ताकि लोग इस पार से उस पार जा सके. क्या ऐसी हालत में लोग उस पार जा सकते हैं. पुल यदि खंबे की तरह खड़ा भी है तो अभी उसकी क्या उपयोगिता है.
‘पुल मामले में मंत्री को बर्खास्त करना चाहिए’ एनडीए के घटक दलों की ओर से सीएम नीतीश को आईना दिखाए जाने को लेकर तेजस्वी का कहना है कि यह सच्चाई है, उनके सहयोगी दलों के नेता भी प्रमुखता से इस चीज को उठाते रहे हैं. पुल में न तो बोल्डर है न पिचिंग ही की गई है. तो इससे स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार हुआ है और सरकार के लोगों के माथे पर कोई शिकन तक नहीं है. मंत्री जी हंसते हुए जवाब दे रहे हैं कि ये तो होता रहता है बिहार में बांध चूहा खा जाता है. बांध टूटना और पुल गिरना यहां आम बात है. ऐसे में मंत्री जी के ऐसे गैर जिम्मेदार बयान के लिए उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए नहीं तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए.
‘चुनाव टालना चाहिए’ चुनाव आयोग से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े सभी दलों के सवाल पर तेजस्वी का कहना है कि सभी जानते हैं कि सभी दलों ने चुनाव आयोग को अपना मेमोरेंडम दिया है. लेकिन यह वक्त चुनाव का नहीं है. इस स्थिति को देखते हुए उदाहरण भी दिए गए हैं कि जो इवीएम लाएंगे ले जाएंगे वैसे शिक्षकों की मौत होती जा रही है, तो कई उनमें संक्रमित पाए जा रहे हैं. ऐसे में चुनाव को आगे टालना ही बेहतर होगा.
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