Congress Chintan Shivir in Udaipur: कांग्रेस का चिंतन शिविर 13-15 मई को उदयपुर यानी मेवाड़ में होने जा रहा है. मेवाड़ गुजरात से जुड़ा है और दिसंबर में गुजरात में विधानसभा चुनाव भी है. चिंतन शिविर में गुजरात के 27 साल पुराने बीजेपी के किले को भेदने की रणनीति तैयार की जाएगी. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि दो कारणों से चिंतन शिविर के लिए मेवाड़ को चुना गया है. राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश की तरह मेवाड़ की भी कहावत है. कहा जाता है कि राजस्थान की गद्दी पर बैठने के लिए मेवाड़ को फतह करना जरूरी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मेवाड़ को फतह करने की चाह में हैं. 

सरकार बनाने के लिए क्यों महत्वपूर्ण है मेवाड़?

जानकारों का मानना है कि मेवाड़ से ज्यादा सीटें जीतनेवाली पार्टी की सरकार बनती है. मिसाल के तौर पर साल 2013 में उदयपुर संभाग की 28 सीटों में से बीजेपी को 25 और कांग्रेस को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली थी. एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी. ज्यादा सीटें जीतकर राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार बनी. बात 2008 में हुए विधानसभा चुनाव की करें तो कांग्रेस ने 20 और बीजेपी ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की. दो सीटों पर अन्य ने कब्जा जमाया था. साल 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो पहली बार मेवाड़ से बीजेपी की ज्यादा सीटें होने के बावजूद सरकार कांग्रेस की बनी. हालांकि साल 2008 और 2013 जैसा अंतर नहीं था. मेवाड़ की 28 सीटों में से 14 बीजेपी, 11 कांग्रेस और 3 अन्य को मिली.

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कांग्रेस के चिंतन शिवर में बनेगी खास रणनीति

चुनाव बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बने. आपको बता दें कि राजस्थान में सात डिवीजन हैं. अगर कोई पार्टी उदयपुर डिवीजन में लगभग 20 सीटें जीतती है तो 101 के बहुमत को छूना आसान हो जाता है. भले ही अन्य छह डिवीजनों में समान लड़ाई हो. इसलिए सरकार बनाने के लिए मेवाड़ को भेदना जरूरी है. कांग्रेस सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई ने बताया कि चिंतन शिविर में राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी समेत राज्य के बड़े नेता भी शामिल होंगे. कार्यक्रम की जानकारी आने वाले समय में दे दी जाएगी. 

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