Spanish Couple Adopted Bharatpur's 3 Year Old Shubhi: भरतपुर जिले के बाल शिशु गृह में रहने वाली 3 साल की शुभी को अब नए माता पिता मिले हैं. आज स्पेन निवासी दंपत्ति गैब्रील और मारिया को कलेक्टर अलोक रंजन ने शुभी को सौंप दिया. विदेशी दंपत्ति शुभी को लेकर स्पेन के लिए रवाना हो गए. बच्ची को वर्ष 2019 में बाल शिशु गृह के पालना गृह में छोड़ दिया गया था.

बाल शिशु गृह में पली 3 वर्षीय शुभी को गोद लेने के लिए चार साल पहले सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी में गैब्रील और मारिया ने आवेदन किया था. आज गोद लेने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बच्ची को विदेशी माता-पिता मिल गए. बताया गया है कि गैब्रील और मारिया स्पेन की राजधानी मैड्रिड में रहते हैं.

भरतपुर की बच्ची को मिले नए माता-पिता

गैब्रील सेकेंडरी स्कूल में प्रोफेसर है और पत्नी मारिया आर्ट म्यूजियम में काम करती हैं. गैब्रील और मरिया को इंडिया से काफी लगाव है. दोनों भारतीय संस्कृति को काफी पसंद करते हैं. गैब्रील और मारिया को कोई बच्चा नहीं था. इसलिए उन्होंने करीब 5 साल पहले उड़ीसा से एक बच्ची को गोद लिया. बच्ची का नाम सोनाली है. सोनाली अब 7 साल की हो चुकी है और स्पेन में ही पढ़ती है.

सोनाली के बाद उन्होंने एक और बच्ची को गोद लेने का फैसला किया. 4 साल पहले गैब्रील और मरिया ने बच्ची को गोद लेने के लिए स्पेन की एक एजेंसी से संपर्क किया और कारा के जरिए उन्हें 11 महीने पहले शुभी का पता लगा. शुभी से मिलने के बाद गैब्रील और मारिया ने बच्ची को अपनाने का फैसला किया. आज गैब्रील और मारिया को जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने शुभी को सौंप दिया. 

स्पेन निवासी दंपत्ति ने लावारिस को अपनाया

गैब्रील ने बताया कि इंडिया में बच्चों को गोद लेने का प्रोसेस भी और देशों की अपेक्षा आसान है. इसलिए उन्होंने इंडिया से बच्चे गोद लेने का फैसला किया. गैब्रील को लड़का या लड़की से कोई फर्क नहीं पड़ता है. दोनों बार किए गए आवेदन में उन्हें बच्ची मिली. बच्ची को पाकर विदेशी दंपत्ति काफी खुश हैं. 

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कलेक्टर बोले- आज बहुत ही खुशी का पल है 

कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि बाल शिशु गृह में रहनेवाले बच्चों के माता-पिता का पता नहीं होता है. सरकार का प्रयास रहता है कि अनाथ बच्चों को अच्छा भविष्य मिल सके. मुझे खुशी है कि तीन साल की होने जा रही शुभी को नए माता-पिता मिल गए हैं. हमने स्पेन से आये दंपत्ति को शुभी को सौंप दिया है. उम्मीद है कि स्पेन में बच्ची को माता-पिता की कमी नहीं खलेगी.