Rajasthan News: राजस्थान के सिरोही में 21 जनवरी की शाम को लावारिस हालत में 3 महीने मासूम मिला था. उसके पास एक खत मिलने से हड़कंप मच गया था. GRP थानाधिकारी ने मामला दर्ज करके जांच पड़ताल शुरू कर दी थी, जिसके बाद बड़ा खुलासा हुआ है. ऐसा खुलासा, जिसे जानकर हर कोई हैरान है.
थानाधिकारी मनोज कुमार चौहान ने बताया कि थाने की टीम द्वारा रेलवे स्टेशन पिंडवाड़ा पर मिले बच्चे के परिजनों की पहचान करने में सफलता हाथ लगी है.
बच्चे के पास मिला हिंदी में लिखा पत्रथानाधिकारी ने कहा कि रेलवे स्टेशन पिंडवाड़ा के अधीक्षक ने फोन करके सूचना दी कि रेलवे स्टेशन पर एक लावारिस बच्चा मिला है. उसकी उम्र करीब 3 महीने है. इस सूचना पर थाने से तुरंत हेड कांस्टेबल मंसाराम को मौके पर भेजा गया. 22 जनवरी को को हेड कांस्टेबल ने परिजनों की तलाश शुरू की. इस दौरान बच्चे के पास हिंदी में लिखा पत्र भी मिला.
आरपीएफ ने मेडिकल जांच करवाकर बच्चे को सुरक्षा और देखरेख के लिए राजकीय सम्प्रेक्षण और किशोर गृह सिरोही में दाखिल करवा दिया था. GRP पुलिस नें भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 93 के तहत मामला दर्ज करके जांच मंसाराम के हवाले की.
मामले के खुलासे के लिए गठित की गई विशेष टीमSHO ने विशेष निर्देश देकर टीम को बच्चे के अज्ञात परिजनों की तलाश के लिए रवाना किया. इस दौरान पुलिस को अपने खुफिया तंत्र से इनपुट मिले. साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से परिजनों की तलाश के प्रयास किए गए.
इस दौरान मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि एक व्यक्ति रेलवे स्टेशन पिंडवाड़ा पर बच्चे के बारे में पूछ रहा है. इस पर मुखबिर को समझा कर उस व्यक्ति को आबूरोड भेजने का बोला गया. उसके बाद रेलवे स्टेशन आबूरोड पर वह व्यक्ति मिला जिसे थाने लाकर गहनता से पूछताछ की गई. पता चला कि उसका नाम ईश्वर भाई है जो अहमदाबाद गुजरात का रहने वाला है. जब आबूरोड थानाधिकारी द्वारा बच्चे की फोटो दिखाई गई तो उसने बताया कि वह उसका बेटा रुद्र उर्फ किट्टू है.
पूछताछ में मासूम के पिता ने उगले राज जब थानाधिकारी मनोज सिंह द्वारा पूछताछ की गई तो हैरान कर देने वाले खुलासे हुए. मासूम के पिता ईश्वर भाई ने पुलिस को बताया कि 21 जनवरी को रेलवे स्टेशन पिंडवाड़ा पर उसकी पत्नी ने भूलवश मासूम को छोड़ दिया था. कुछ समय बादी पत्नी सुनिता बेन और अन्य परिजन थाने में उपस्थित हुए.
पूछताछ में पता चला कि सुनिता बेन मानसिक रूप से बीमार है. वह कभी कभी अपनी याददाश्त खो देती है. 21 जनवरी को उसने मासूम को भूल से कहीं रख दिया था. परिजनों ने मानसिक बीमारी और इलाज के कागज भी पेश किए. राजकीय अस्पताल से जानकारी निकलवाई गई तो पर्ची ठीक पाई गई.
ऐसे रची कर्ज से मुक्ति कि कहानी पुलिस को बच्चे के पास एक पत्र मिला था, जब उसकी जांच पड़ताल की गई तो चौकाने वाले खुलासे हुए. बच्चे के पास मिली चिट्ठी में जिक्र किया गया था, "मेरा नाम राधिका है. हमने घर से भाग कर शादी की थी. हमारी शादी को दो साल हुए हैं. मेरे पति की कार एक्सीडेंट में मौत हो गई है. हम किराये के मकान में रहते थे. मुझे भी बीमारी ने जकड़ लिया है. इस बच्चे की परवरिश मैं नहीं कर पाऊंगी तो आप लोगों से इतनी बिनती है इसे अनाथालय में छोड़ दें. मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से हूं. बीमारी की वजह से मैं भी कुछ दिन बाद आत्महत्या कर लूंगी."
इस पत्र की पड़ताल करने पर उसके बारे में ईश्वर भाई से पूछा तो पहले तो उसने अनभिज्ञता जाहिर की. उसने कहा कि वह राधिका नाम की महिला को नहीं जानता. दंपती को राजकीय सम्प्रेक्षण एंव किशोर गृह सिरोही ले जाया गया. वह वहां पर भी पूछताछ में बच्चे के पास मिले पत्र के बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं होना बताया और पुलिस को गुमराह करता रहा.
ऐसे हुआ पत्र का खुलासा बूरोड़ थानाधिकारी मनोज कुमार चौहान द्वारा तसल्ली पूर्वक और मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की गई तो बच्चे का पिता ईश्वर भाई टूट गया ओर बताया कि वह ऑटो रिक्शा चलाता है. वह हर महीने 16-17 हजार रुपये कमा पाता है, लेकिन 18000 रुपये प्रतिमाह की किस्त भरनी होती है और 7000 रुपये मकान का किराया देना होता है. इसके अलावा, बच्चे के स्कूल की फीस 1500 रुपये है.
घर के खर्च सहित 30 से 32 हजार रुपये का कुल खर्च हो जाता है. आमदनी कम और खर्चा ज्यादा होने के कारण वह परेशान हो गया था. पत्नी के बीमार होने से दोनों ने सोचा कि दोनों मर जाते हैं.
टीवी सीरियल से निकाला आइडिया
ऑटो चालक ने बताया किवह अक्सर टीवी पर क्राइम पैट्रोल सीरियल देखता है, जिस पर 15-20 दिन पहले एक एपिसोड आया था. उसमें राधिका नाम से पत्र लिखकर पुलिस को गुमराह किया जाता है. इस दंपती ने भी उसी की नकल कर ऐसा काम किया, ताकि बच्चे को अनाथालय में भेजा जा सके. अगर बच्चे को कोई गोद ले लेता तो वह मरने के बाद अपने बीमा के 18-20 लाख रुपये बेटे के लिए छोड़ कर जाता.
पत्र का गुजराती से हिन्दी भाषा के लिए गूगल ट्रांसलेट का उपयोग किया गया था. इस पत्र को ईश्वर भाई द्वारा लिखकर पत्नी को बिना बताए बच्चे के पहने कपड़ों के पास रख दिया था.
आत्महत्या करने का था इरादा दोनों पति-पत्नी का गुजरात के पालमपुर में सुसाइड करने वाले थे. पत्नी ने बस में बैठने के बाद अपनी मां से बात की. ईश्वर ने अपनी पत्नी को अपनी मां के पास छोड़ दिया और खुद अम्बा माताजी के दर्शन कर सुसाइड करने वाला था. हालांकि, रात में बच्चे की याद आने के कारण सुबह होते ही ईश्वर पिंडवाड़ा पहुंच गया और आबूरोड पहुंच कर बच्चे का पिता होने की बात कही.
सिरोही से तुषार पुरोहित की रिपोर्ट.
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