Keoladeo National Park: राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) में हर साल सात हजार किलोमीटर दूर से सैकड़ों की संख्या में साइबेरियन सारस (Siberian Crane) आते थे. लेकिन, धीरे-धीरे ये विलुप्ति की कगार पर हैं. पक्षी विशेषज्ञ भी सारस का जीवन बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं, जिससे जैव विविधता बनी रहे.
केवलादेव नेशनल पार्क में पानी का संकटभरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 1983 में लगभग 258 सारस पहुंचे थे, जो धीरे-धीरे कम होते गये. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी की समस्या भी बनी रहती है. पहले यहां पर बाणगंगा और गम्भीरी नदियों से पानी आता था. इस पानी के साथ पक्षियों को खाने के लिए वनस्पति और मछलियां भी भरपूर मात्रा में होती थीं. लेकिन, वर्ष 2004 में पांचना बांध में पानी को रोकने के बाद हमेशा केवलादेव नेशनल पार्क पर पानी संकट मंडराता रहता है.
दूसरी जगह डेरा डाल रहे पक्षीकरौली जिले के पांचना बांध में पानी रोकने के कारण केवलादेव नेशनल पार्क में पक्षियों को जलीय वनस्पति और मछलियां नहीं मिल रही हैं. इस कारण पक्षियों ने अन्य जगहों पर प्रजनन के लिए अपना डेरा डालना शुरू कर दिया है. पहले जहां सैकड़ों की संख्या में सारस प्रजनन के लिए भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आते थे, अब यहां कुछ ही सारस देखने को मिलते हैं. जहां साल 1983 में लगभग 258 सारस नेशनल पार्क में पहुंचे थे, पिछले साल केवल 13 सारस यहां पहुंचे.
क्या कहते हैं पक्षी विशेषज्ञपक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि कृषि में अब कीटनाशकों का ज्यादा उपयोग किया जा रहा है. इसने पक्षियों के जीवन को खतरे में डाल दिया है. पक्षी भोजन की तलाश में खेतों जाते हैं और कीटनाशक युक्त वनस्पति खाते हैं, जो उनके जीवन को नुकसान पहुंचाता है. अब पक्षी विशेषज्ञ सरसों का जीवन बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं.
रविवार को होगी सारस की गणना केवलादेव नेशनल पार्क में केवलादेव नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी, वन विभाग, सरकार और विभिन्न संस्थाओं, पक्षी प्रेमियों और शोधकर्ताओं की ओर से सारस की गणना की जाएगी. यह 40वीं सारस गणना रविवार सुबह 8 बजे से शुरू की जाएगी. सारस गणना का शुभारम्भ राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग और सांसद रंजीता कोली करेंगे. केवलादेव नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी से जुड़े कृष्ण कुमार ने बताया कि सारस को बचने के लिए प्रकृति को बचाना बेहद जरूरी है.
खेतों में कीटनाशक का प्रयोग और करंट के तार भी पक्षियों की मौत हो रही है. इन्हें सुरक्षित रखने के लिए वेटलैंड को बचाना भी जरुरी है. वेटलेंड बचे रहेंगे तो सारस खुद ही बच जाएंगे.
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