Rajasthan Assembly Elections: कर्नाटक (Karnataka) में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद राजस्थान (Rajasthan) में एक बड़ा राजनीतिक 'नाटक' होने की तैयारी है. चाहे वह बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं की नजर कर्नाटक चुनाव के परिणाम पर टिकी हुई है. हालांकि, कांग्रेस में उसके पहले ही नाटक शुरू हो गया है क्योंकि सचिन पायलट (Sachin Pilot) को कर्नाटक चुनाव में स्टार प्रचारक न बनाए जाने से एक बड़े वर्ग में नाराजगी की खबर सामने आ रही है. वहीं बीजेपी ने राजस्थान के उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया को कर्नाटक में मोर्चे पर लगा दिया है. मगर, यहां के किसी भी भाजपाई को कर्नाटक के चुनाव में स्टार प्रचारक की लिस्ट में नहीं रखा गया है.
कर्नाटक चुनाव से पहले के रुझानों को देखते हुए राजस्थान के बुजुर्ग (वरिष्ठ) नेताओं में जोश दिख रहा है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं को यह बात समझ में आ रही है कि उनकी यहां पर स्थिति बेहतर हो सकती है. कर्नाटक में जिस तरीके से बीएस येदुरप्पा ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली है, वैसे में यहां पर भी बुजुर्ग नेताओं को अपनी स्थिति बेहतर होने की उम्मीद बनी है. लेकिन अभी सभी को कर्नाटक के फाइनल रिजल्ट का इंतजार है.
गुजरात और हिमाचल का दिखा था असर गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों का यहां पर असर दिखाई दिया था. क्योंकि, उस दौरान भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के तमाम नेता गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे थे. जब हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है तो अशोक गहलोत ने कहा उनके ओल्ड पेंशन स्कीम का कमाल है और सचिन पायलट के लोगों का कहना था कि यह पायलट के चुनाव प्रचार का कमाल है. वहीं गुजरात में जब चुनाव प्रचार में बीजेपी की जीत हुई तो यहां के नेताओं का कहना था कि इसका असर राजस्थान में भी दिखेगा क्योंकि, गुजरात के प्रभारी खुद अशोक गहलोत थे. बीजेपी का कहना था कि गुजरात में अशोक गहलोत का मॉडल फेल हुआ है.
स्टार और परिणाम पर टिकी नजरेंकांग्रेस ने चुनाव प्रचार में जहां सचिन पायलट को स्टार प्रचारक नहीं बनाया है उससे एक धड़ा नाराज है. वहीं पर बीजेपी की नजरें परिणाम पर टिकी हुई है क्योंकि राजस्थान से किसी भी दिग्गज नेता को वहां पर नहीं लगाया गया है. अमूमन इसके पहले तमाम चुनावों में राजस्थान से कई नेताओं की जिम्मेदारी अलग-अलग राज्यों के चुनाव में होती रही है. ऐसे में बीजेपी नेताओं को जिम्मेदारी इस बार न दिए जाने से कई सारी बातें सामने आ रही हैं. सतीश पूनिया को वहां पर मोर्चे पर लगाया है लेकिन उनका भी नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में नहीं है.
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