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राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) द्वारा जोधपुर जिला क्रिकेट संघ की मान्यता रद्द करने के बाद मामला अब गरमाता जा रहा है. जोधपुर जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों ने आरसीए एडहॉक कमेटी के कन्वीनर डी.डी. कुमावत पर गम्भीर आरोप लगाते हुए इसे “बदले की कार्रवाई” बताया है.

जिला क्रिकेट संघ के सचिव अरिष्ठ सिंघवी और उपाध्यक्ष त्रिभुवन सिंह भाटी ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि एडहॉक कमेटी का काम केवल चुनाव करवाना है, किसी संघ की मान्यता रद्द करना नहीं. उन्होंने दावा किया कि यह कदम जोधपुर संघ में हुए 17 लाख रुपये के गबन मामले को दबाने और भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाई गई आवाज़ को रोकने के लिए उठाया गया है.

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प्रतिशोध लेते हुए की गई कार्रवाई

सिंघवी ने कहा कि उन्हें अभी तक मान्यता रद्द होने का कोई आधिकारिक पत्र नहीं मिला है, बल्कि यह जानकारी केवल मीडिया रिपोर्ट्स के ज़रिए सामने आई है. उन्होंने आरोप लगाया कि आरसीए के जीएसटी नंबर से ही फर्जी बिल बनाए गए हैं, जो स्पष्ट रूप से जीएसटी चोरी है. जब संघ ने इसकी जांच की मांग उठाई, तो उसी का प्रतिशोध लेते हुए यह कार्रवाई की गई.

एडहॉक कमेटी में हैं पांच सदस्य

उपाध्यक्ष त्रिभुवन सिंह भाटी ने कहा कि कन्वीनर कुमावत के पास किसी भी जिला संघ की मान्यता रद्द करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने बताया कि एडहॉक कमेटी में पाच सदस्य हैं, जिनमें से चार सदस्यों ने कुमावत के फैसले का विरोध किया है, बावजूद इसके उन्होंने एकतरफा निर्णय ले लिया.

एक भी जोधपुर खिलाड़ी को नहीं मिला स्थान

भाटी ने यह भी कहा कि जोधपुर की अंडर-19 टीम ने इस बार स्टेट चैम्पियनशिप जीती थी, बावजूद इसके राजस्थान की टीम में एक भी जोधपुर खिलाड़ी को स्थान नहीं मिला, जिससे स्पष्ट है कि आरसीए जोधपुर के साथ भेदभाव कर रहा है.

इस पूरे विवाद से अब जोधपुर में क्रिकेट राजनीति गर्मा गई है. एक ओर आरसीए एडहॉक कमेटी के अंदर ही मतभेद उभर आए हैं, वहीं दूसरी ओर जोधपुर जिला क्रिकेट संघ ने आरसीए के खिलाफ कानूनी और संगठनात्मक लड़ाई की तैयारी शुरू कर दी है.