Rajasthan News: हरियाणा स्थित नूंह में 28 वर्षीय रकबर खान की हत्या के मामले में राजस्थान के अलवर की एक अदालत द्वारा दिए गए फैसले को परिवार, उच्च अदालत चुनौती देगा.  रकबर के परिजनों ने कहा है कि वह इस फैसले से खुश नहीं हैं.  अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुनील कुमार गोयल ने नरेश, विजय, परमजीत और धर्मेंद्र को धारा 341 (गलत तरीके से रोकने के लिए सजा) और 304 आईपीसी (गैर-इरादतन हत्या की सजा) के तहत दोषी ठहराया. अदालत ने एक अन्य आरोपी नवल को संदेह का लाभ दिया.


अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार रकबर के परिजनों ने कहा कि यह फैसला न्याय नहीं है. परिजनों ने कहा आरोपियों को हत्या नहीं, बल्कि गैर इरादतन हत्या के लिए दोषी ठहराया गया है. परिजनों ने दावा किया कि जिस शख्स की अगुवाई में भीड़ ने हमला किया उसे बरी कर दिया गया. रिपोर्ट के अनुसार मृतक के दादा सद्दीक खान ने कहा, 'हम अदालत के फैसले से नाखुश हैं क्योंकि जो सजा दी गई है वह न्यायोचित नहीं है.'


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साल 2018 में रकबर को भीड़ ने उतारा था मौत के घाट
उल्लेखनीय है कि खान को 2018 में मवेशियों की तस्करी के संदेह में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डाला गया था, जिसमें कथित तौर पर कई गौरक्षक शामिल थे. विशेष लोक अभियोजक अशोक शर्मा ने कहा, धर्मेंद्र यादव, परमजीत, विजय कुमार और नरेश कुमार को आईपीसी की धारा 304 (गैर-इरादतन हत्या) और 341 (गलत तरीके से रोकना) के तहत दोषी ठहराया गया है. उसके खिलाफ अपर्याप्त सबूत के कारण नवल किशोर को बरी किया गया है.


उन्होंने कहा कि अधिकतम सजा आजीवन कारावास तक हो सकती है. रकबर (31) 20-21 जुलाई 2018 की रात 32 वर्षीय असलम खान के साथ पैदल गायों को ले जा रहा था. अलवर के रामगढ़ थाने के अंतर्गत लालवंडी में ग्रामीणों द्वारा कथित तौर पर उन्हें रोका गया था.


रकबर पर गंभीर रूप से हमला किया गया और कुछ घंटों बाद उसकी मौत हो गई, जबकि असलम भागने में सफल रहा. वे लालवंडी से लगभग एक दर्जन किलोमीटर दूर हरियाणा के अपने गांव कोलगांव जा रहे थे.


रकबर की मौत से इलाके में आक्रोश फैल गया, जिसके कारण तत्कालीन गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया सहित राजस्थान के शीर्ष पुलिस प्रशासन ने घटनास्थल का दौरा किया और न्यायिक जांच के आदेश दिए.