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Rajasthan Rajya Sabha Election: राज्यसभा की तीसरी सीट पर फंसा पेंच तो चौकन्नी हुई कांग्रेस, उठाया ये बड़ा कदम
Rajya Sabha Election: राजस्थान में राज्यसभा का चुनाव काफी दिलचस्प हो चुका है. फिलहाल तीसरी सीट पर जीत कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है.
Rajya Sabha Election 2022: राजस्थान (Rajasthan) में राज्यसभा की चार सीटो के लिए पांच उम्मीदवार मैदान में होने से 10 जून को होने वाले चुनाव का मुकाबला अब रोचक हो गया है. दरअसल निर्दलीय उम्मीदवार के मैदान में होने की वजह से कांग्रेस (Congress) के लिए अब तीसरी सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है. वहीं चुनावी बिसात पर अब शह व मात का खेल शुरू होने के साथ ही भाजपा निर्दलीय व बीटीपी व सीपीएम विधायकों में सेंधमारी करने के लिए दांवपेच खेल रही है. इस वजह से सियासी सकंट में कांग्रेस सरकार को बचाने में अहम भूमिका निभाने वाले निर्दलीय व सहयोगी दलों के विधायकों के पाला बदलने का खतरा मंडरा रहा है. हालांकि ड्रेमेज कंट्रोल में लगे मुख्यमंत्री ने निर्दलीय विधायकों से बुधवार रात मुलाकात की लेकिन तीन विधायकों के आने से कांग्रेस अब संख्या बल को लेकर चिंतित है.
चौथी सीट पर आ टिका है चुनावी दंगल
बता दें कि कांग्रेस तीन निर्दलीय व दो बीटीपी विधायकों को लेकर आशंकित है. वहीं भाजपा को भी क्रॉसवोटिंग होने का संदेह है. बता दें कि कांग्रेस अपने उम्मीदवार तो भाजपा निर्दलीय उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए एक दूसरे खेमे में सेंधमारी करने की कोशिश में है. इस तरह चुनावी दंगल अब चौथी सीट पर आ टिका है. इस वजह से नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद कांग्रेस और भाजपा अब अपने विधायकों की बाड़ेबंदी करने की तैयारी में लग गई हैं. कांग्रेस की ओर से शुरू किए कैंप के बाद विधायकों की बाडेबंदी करने की योजना है. वहीं चिंतन शिविर की तर्ज पर भाजपा भी चुनाव से तीन दिन पहले अपने विधायकों के लिए प्रशिक्षण शिविर के बहाने बाडेबंदी करने योजना बना रही है.
कांग्रेस को अपने सहयोगी विधायकों कें क्रॉस वोटिंग की आशंका
राज्यसभा चुनावों में बीजेपी समर्थक निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा के मैदान में उतरने से कांग्रेस के तीनों सीट पर जीत का गणित गड़बडा गया है. कांग्रेस को अब अपने सहयोगी विधायकों कें क्रॉस वोटिंग की आशंका सताने लगी है. मुख्यमंत्री ने कल निर्दलीय विधायकों से मुलाकात की लेकिन निर्दलीय विधायक खुशवीरसिंह,रमिला व बलजीत यादव नहीं पहुंचे थे. वहीं बीटीपी विधायक भी आदिवासी उम्मीदवार नहीं उतारने की वजह से नाराज हैं. वहीं बसपा से कांग्रेस में आए वाजिब अली ने भी स्थानीय नेताओं की जगह बाहरी नेताओं को उम्मीदवार नहीं बनाने पर अपनी नाराजगी जताई है.
इस वजह से कांग्रेस की तीसरी सीट पर जीत के समीकरण बिगड़ते नजर आने लगे हैं. वहीं कांग्रेस और समर्थक विधायकों को एकजुट रखने के लिए तीन जून से उदयपुर में बाड़ेबंदी की तैयारी की जा रही है. जिस होटल में कांग्रेस का चिंतन शिविर हुआ था, वहीं विधायकों की बाड़ेबंदी की तैयारी है. इधर जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में कांग्रेस का चिंतन शिविर के फैसलों को लागू करने के लिए विधायकों और प्रमुख नेताओं का कैंप शुरू हुआ है. इस कैंप से विधायकों को सीधे बाड़ेबंदी में ले जाया जाएगा.
कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार पर खतरा
बता दें कि कांग्रेस के तीन उम्मीदवार मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी मैदान में हैं. हर उम्मीदवार को जीत के लिए 41-41 विधायकों के वोट चाहिए. तीनों उम्मीदवारों के लिए 123 विधायकों के वोट जरूरी हैं. बदले हालात में अगर तीन विधायकों के वोट भी इधर-उधर हो गए तो कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार की हार हो सकती है. कांग्रेस के पास खुद के 108 विधायक हैं. एक आरएलडी के सुभाष गर्ग हैं.13 निर्दलीय, दो सीपीएम और दो बीटीपी विधायकों को मिलाकर कांग्रेस के पास 126 विधायकों के समर्थन का दावा है. कांग्रेस के इस दावे के बावजूद सेंध का खतरा बना हुआ है. दरअसल नाराज विधायक कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ सकते हैं. चार निर्दलीय, दो बीटीपी विधायक कांग्रेसी खेमे से खिसके तो संख्या बल 120 ही रह जाएगी. कांग्रेस रणनीति के तहत दो उम्मीदवारों की जीत के लिए के लिए 41-41 वोट डलवाएगी ताकि उनकी जीत तय हो सके. वहीं तीसरी वरीयता नंबर पर जो उम्मीदवार रहेगा, उस पर खतरा होगा. हालांकि मुख्यमंत्री गहलोत नाराज कांग्रेसी,निर्दलीय व बीटीपी के विधायकों को मनाने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए हैं.
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पवन चौरसियाअंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार
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