Rajasthan News: राजस्थान में इसी साल विधान सभा के चुनाव होने वाले हैं. अब पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi Jaipur Visit) के 10-11 जनवरी को जयपुर आने की बात सामने आ रही है. हालांकि, अभी ये प्रस्तावित है. उसी कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला भी आएंगे.
दरअसल, राजस्थान विधानसभा में 10 से 12 जनवरी तक सभी राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों और सचिवों का सम्मेलन होने वाला है. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जयपुर आने का कार्यक्रम प्रस्तावित बताया जा रहा है. यह आयोजन केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय और लोकसभा कार्यालय की ओर से किया जाएगा. इसीलिए यह माना जा रहा है कि ओम बिड़ला के लिए ये बड़ा सफल आयोजन माना जाएगा. क्योंकि इस बार यहां का कार्यक्रम खुद ओम बिड़ला की वजह से चुना गया है. तो इसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.
10 साल पहले गहलोत के समय में हुआ था कार्यक्रमयही कार्यक्रम 10 साल पहले राजस्थान में हुआ था. तब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही थे. इसलिए सबकी नजरें अशोक गहलोत पर टिकीं हुई हैं. साल 2012 में विधानसभा अध्यक्षों और विधान परिषदों के प्रमुखों का सम्मेलन राजस्थान विधानसभा में कराया गया था. उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी और डॉ. सीपी जोशी केंद्रीय रेल एवं सड़क परिवहन मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे थे. उस दौरान श्रीमाधोपुर से विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष हुआ करते थे. रोचक बात है कि विधान सभा अध्यक्ष बदल गए लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आज भी अशोक गहलोत हैं.
बिड़ला रहे हैं विधायकलोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं. उनकी वजह से ही एक बार फिर राजस्थान की विधानसभा को मेजबानी का यह अवसर मिला है. बिड़ला भी इस कार्यक्रम में आएंगे. विधान सभा चुनाव से पहले इस कार्यक्रम को कई नजरिए से देखा जा रहा है.
वहीं सूत्रों का कहना है कि अंतिम समय में पीएम का कार्यक्रम टल भी सकता है. माना जा रहा है कि वीसी के जरिए पीएम जुड़ सकते हैं. वहीं इस कार्यक्रम को लेकर विधानसभा अध्यक्ष खुश हैं. उन्हें इस कार्यक्रम की मेजबानी से खुशी है.
इन मसलों पर चिंतनजानकारी के अनुसार इस सम्मेलन में लोकतंत्र, संसदीय कार्य प्रणाली, विधायिका-कार्यपालिका के महत्व, चुनौतियां, नियमों, व्यवस्थाओं और संस्थानों जैसे मुद्दों पर चर्चा और मंथन किया जाएगा. चिंतन के बाद एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी जो सभी विधानसभाओं में भेजी जाएगी. इस चिंतन और मंथन का उपयोग भविष्य में संसद या राज्यों की विधानसभाओं में किसी नियम प्रक्रिया, व्यवस्था के लिए किया जायेगा. इससे एक अन्य विधानसभाओं के लिए के बड़ा संदेश दिया जाएगा.
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