Udaipur Murder Case Update: राजस्थान (Rajasthan) के उदयपुर (Udaipur) में एक दर्जी की जघन्य हत्या मामले (Brutal Murder Case) की जांच कर रही एनआईए (NIA) सहित सुरक्षा एजेंसियां, मामले में गिरफ्तार चारों आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए फोन के 'इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड्स' (IPDR) का विश्लेषण करेंगी, अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इससे यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि क्या कराची के दावत-ए-इस्लामी संगठन (Dawat-e-Islami Organization) द्वारा कट्टरपंथीकरण (radicalization) कार्यक्रम चलाया जा रहा है. 


कन्हैयालाल (Kanhaiyalal) की 28 जून को उसकी दुकान के अंदर हत्या के मामले में राजस्थान पुलिस (Rajasthan Police) ने केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की मदद से अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है. दर्जी पर रियाज अख्तरी द्वारा किए गए हमले की घटना को गौस मोहम्मद द्वारा एक फोन में रिकॉर्ड किया गया था और इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. बाद में एक वीडियो में उन्होंने कहा था इस्लाम के कथित अपमान का बदला लेने के लिए कन्हैयालाल को मार डाला. इन दो आरोपियों के अलावा सुरक्षा एजेंसियों ने दो और लोगों- मोहसिन और आसिफ को भी पकड़ा है, जिन पर जनता के बीच आतंक फैलाने की साजिश का हिस्सा होने का आरोप है. 


क्या होता है आईपीडीआर?


अधिकारियों ने कहा कि इंटरनेट पर आरोपियों की गतिविधियों की जांच के लिए उनके फोन का आईपीडीआर विश्लेषण किया जाएगा. आईपीडीआर एक फोन उपकरण द्वारा उत्पन्न कॉल या संदेश के विवरण को ट्रैक करने में मदद करता है और इसमें उस नंबर की जानकारी शामिल होती है जिस नंबर से कॉल की गई थी. इसके अलावा इसमें गंतव्य, प्रारंभ और समाप्ति तिथि और समय जैसी जानकारियां भी शामिल हैं. 


शोधार्थियों की यह है राय


आईआईटी प्रोफेसर रंजन बोस, मैरीलैंड विश्वविद्यालय में कंप्यूटर विज्ञान के छात्र आद्य वी जोशी और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी मदन ओबेरॉय के एक शोध पत्र के अनुसार, आईपीडीआर इस डेटा में निहित कॉल ग्राफ को स्पष्ट करने के लिए ‘एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग’ सेवा के अन्य उपयोगकर्ताओं के साथ मोबाइल उपयोगकर्ताओं को जोड़ता है. 


इन तीनों ने 2018 में सहयोग और इंटरनेट कंप्यूटिंग (CIC) पर अपने चौथे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान दुनिया के अग्रणी पेशेवर संगठन, ‘इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर्स’ (IEEEE) में शोध पत्र प्रस्तुत किया था. इस संगठन में 160 देशों के चार लाख से अधिक सदस्य हैं.


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किस वेबसाइट को कितनी बार देखा, यह भी पता चल जाता है


आईपीडीआर विश्लेषण से यह पता लगाने में भी मदद मिलती है कि इंटरनेट टेलीफोनी का उपयोग करके किए गए कॉल और संदेशों के अलावा किसी मोबाइल उपयोगकर्ता ने किसी विशेष वेबसाइट का कितनी बार इस्तेमाल किया. जांच एजेंसियों को उनके व्हाट्सएप अकाउंट पर कई पाकिस्तानी नंबर भी मिले हैं और कहा है कि एक आरोपी उन गुप्त समूहों का हिस्सा था जो जाहिर तौर पर धार्मिक गतिविधियों के लिए बनाए गए थे. 


चारों आरोपी 12 जुलाई तक एनआईए की हिरासत में हैं. एनआईए ने 29 जून को राजस्थान पुलिस से आतंकवाद विरोधी गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला फिर से दर्ज किया था.


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