Navratri 2022: कन्या पूजन में भूलकर भी ना करें ये गलती, इन बातों का रखे खास ध्यान
कन्या पूजन में कन्याएं जिस स्थान पर बैठने वाली होता है, वहां की सफाई अच्छे से कर लेनी चाहिए. सबसे पहले कन्याओं के दूध से पैर पूजने चाहिए. चरण पूजा में अक्षत, पुष्प और कुंकुम प्रयोग करें.

Jodhpur News: नवरात्रि का महत्व किसी से छिपा नहीं है और नवरात्रि में कन्या पूजन का बहुत महत्व है. ऐसे में अष्टमी और नवमी के दिन छोटी-छोटी बच्चियों की चहल-पहल देखने को मिल जाती है, वहीं छोटी-छोटी कन्याओं को घर-घर बुलाकर भोजन कराया जाता है. भोजन में हलवा-पूड़ी, चने, कई तरह के पकवान खिलाए जाते हैं.
पौराणिक उल्लेख के अनुसार देवराज इंद्र ने ब्रह्मा इंद्र से भगवती देवी को प्रसन्न करने का उपाय पूछा था. तब ब्रह्मा जी ने देवी को प्रसन्न करने के लिए कुमारी पूजन बताया था. इसलिए नवरात्रों में देवी मां को प्रसन्न करने के लिए कन्या पूजन किया जाता है. जिससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।
कन्या की उम्र नवरात्रि में कन्या पूजा में कन्या यानि दो से दस साल की उम्र की लड़कियों को ही बैठना चाहिए. वैसे तो नवरात्रि में कन्या भोजन के लिए 9 अंक सही माना जाता है, लेकिन लोग अपने हिसाब से इस संख्या को बढ़ाते या घटाते हैं. जो गलत नहीं है. अब, 9 कन्याएं ही क्यों? इसकी वजह ये है कि 9 कन्याओं की देवी के 9 रूप मानकर पूजा की जाती है. साथ ही कन्या पूजन के समय टीका लगाकर उनके हाथों में रक्षा सूत्र अवश्य बांधें.
उसके बाद उन्हें या तो उपहार या दक्षिणा देनी चाहिए. अंत में उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए. दो वर्ष की कन्या कुमारी, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कन्या कल्याणी, पांच वर्ष की कन्या रोहिणी, छह वर्ष की कन्या कालिका, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की कन्या शांभवी, नौ वर्ष की कन्या दुर्गा तथा दस वर्ष की कन्या सुभद्रा मानी जाती है. इनको नमस्कार करने के मंत्र इस प्रकार है-
1. कौमाटर्यै नमः 2. त्रिमूर्त्यै नमः 3. कल्याण्यै नमः 4. रोहिर्ण्य नमः 5. कालिकायै नमः 6. चण्डिकार्य नमः 7. शम्भव्यै नमः 8. दुर्गायै नमः 9. सुभद्रायै नमः
कन्या को क्या उपहार दें
कन्या पूजन के दिन कन्याओं को फल जरुर देने चाहिए. अपनी श्रद्धा अनुसार पूजन में ही देवी माँ को अर्पण किए गए फल कन्याओं को देने चाहिए. लाल रंग को वृद्धि और प्रेम का प्रतीक माना जाता है. कन्याओं को उपहार के रूप में लाल वस्त्र देने का विशेष महत्व है. अगर किसी वजह से आप लाल वस्त्र देने में असमर्थ है तो सभी कन्याओं को लाल रंग की चुनरी दे सकते हैं. इसके साथ ही लाल रंग माँ की पोशाक का रंग होने के कारण भी बेहद शुभ माना जाता है. कन्या पूजन एवं भोजन में एक मिठाई अवश्य शामिल करें. अगर किसी वजह से आप मिष्ठान शामिल न कर सकें तो घर में साफ-सुथरे ढंग से बनाया हुआ सूजी या फिर आटे का हलवा भी माता का भोग लगाकर कन्याओं को खिला सकते हैं.
कन्या पूजन के दिन कन्याओं को श्रृंगार सामग्री जरुर देनी चाहिए. हेयर बैंड, रबर बैंड, स्मॉल मेकअप किट, चूड़ियां, बिन्दी वगैरह के रूप में पहले माता को अर्पित करनी चाहिए और उसके बाद कन्याओं के देनी चाहिए. कन्याओं द्वारा ग्रहण की गई श्रृंगार सामग्री शीघ्र देवी माँ द्वारा स्वीकार कर ली जाती है. कन्या के विद्या प्राप्ति मार्ग में आप सहायक बनना चाहें तो उन्हें आप पेन, पेंसिल, इरेजर, शार्पनर, कॉपी, डायरी, कार्टून बुक, ड्रॉइंग बुक, स्टोरी बुक, पेंसिल बॉक्स, लंच बॉक्स वगैरह दे सकते हैं.
अब जानते है कन्या पूजन विधि
कन्या पूजन में कन्याएं जिस स्थान पर बैठने वाली होता है, वहां की सफाई अच्छे से कर लेनी चाहिए. सबसे पहले कन्याओं के दूध से पैर पूजने चाहिए. चरण पूजा में अक्षत, पुष्प और कुंकुम प्रयोग करें. इसके बाद भगवती का ध्यान करते हुए मां दुर्गा को भोग लगाएं फिर कन्याओं को भोजन करवाएं. सबको खाने के लिए प्रसाद देना चाहिए. अधिकतर लोग इस दिन प्रसाद के रूप में हलवा-पूरी देते हैं. जब सभी कन्याएं खाना खा लें तो उन्हें दक्षिणा अर्थात उपहार स्वरूप कुछ देना चाहिए फिर सभी के पैर को छूकर आशीर्वाद लें. इसके बाद इन्हें सम्मान से विदा करना चाहिए और हो सके तो जिम्मेदारी से उनको अपने अपने घर तक पहुंचा कर आना चाहिए.
कन्या पूजन में सावधानियां
अपनी श्रद्धा और भावना में कमी बिलकुल ना रखें. हर एक कन्या में साक्षात देवी माँ दुर्गा साक्षात है, ये पूर्ण विश्वास बनाए रखें. कन्याओं को बासी भोजन न कराएं और दक्षिणा व उपहार अवश्य दें. इनके साथ में एक या दो छोटे लड़कों को भी गणेश//भैरव के रूप में शामिल करना आवश्यक और उत्तम माना जाता है. अगर आपके लिए घर बुलाकर कन्याओं का पूजन कर पाना संभव न हो तो किसी मंदिर में अपनी यथाशक्ति अनुसार भोजन निकालकर दान कर सकते हैं.
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