Rajasthan Lakh Ki Chudiyan: आपने महिलाओं के श्रृंगार को चार चांद लगाने वाली विभिन्न प्रकार की चूड़ियां (Bangles) देखी होंगी लेकिन इनमें सबसे प्रचलित लाख की चूड़ियां हैं. बाजारों में लाख को गर्म कर चूड़ियों का आकार दिया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि लाख किससे बनती है और कहां से आती है. आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि लाख एक कीट से बनती है जो बहुत सूक्ष्म होता है. जिस तरह से मधुमक्खी (Bee) अपना शहद (Honey) बनाती है उसी प्रकार लाख कीट लाख बनाती है और मर जती है. 

विलुप्ति से बचाने के लिए चल रही है रिसर्चलाख को विलुप्ति के कगार से बचाने, इसका संरक्षण और रिसर्च करने के लिए केंद्र की तरफ से उदयपुर की महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में एक परियोजना चलाई जा रही है. इसमें पिछले 5 साल से लगातार रिसर्च की जा रही है. बड़ी बात ये है कि इस परियोजना में गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, दादर-नगर हवेली की मॉनिटरिंग यहीं से की जा रही है. 

भारत में बड़े पैमाने पर होता है उत्पादनलाख का उत्पादन भारत, म्यांमार, थाइलैंड, मलाया में मुख्यरूप होता है. देश की बात करें तो विश्व की 70 प्रतिशत लाख का देश में प्राकृतिक रूप से उत्पादन हो रहा है. इनमें भी 90 प्रतिशत झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पश्चिम  बंगाल में होता है. राजस्थान में भी प्रबल संभावनाएं हैं जिस पर रिसर्च चल रही है. 

ऐसे होता है उत्पादनपरियोजना प्रभारी डॉ हेमंत स्वामी ने बताया कि प्रजनन के बाद पुरुष लाख की मौत हो जाती है और मादा लाख से बच्चे निकलकर पेड़ों की टहनियों ओर बैठ जाते हैं. एक बार जहां बैठे वहीं अपना जीवनकाल निकाल देते हैं. वो टहनियों से रस चूसकर अपने ऊपर एक कवच बना देते हैं जो लाख होती है, फिर उनकी मौत हो जाती है. फिर टहनियों को काटकर उनपर से लाख निकाल लेते हैं. फिर इन्हें प्रोसेसिंग यूनिट में भेजा जाता है जहां लाख बनती है. अगला प्रोडक्शन करने के लिए अच्छे कीट को अलग निकाल लेते हैं. जैसे ही पेड़ में नई टहनियों की फुटान होती है उनके पास कीट की लकड़ियों की गठरी बनाकर बांध देते हैं. लाख चलकर नई टहनियों पर पहुंच जाते हैं. यही सर्कल साल में 2 बार होता है. ये लाखों की संख्या में होती हैं इसलिए लाख कहते हैं.

पेड़ हैं अहम लाख मुख्य रूप से बेर, पलाश, पीपल, गूलर, खेर सहित अन्य पर होती है. अन्य पेड़ों पर इनके प्रोडक्शन पर रिसर्च चल रहा है.

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