राजस्थान की राजधानी जयपुर से एक अजीब मामला सामने आया है, जहां पर एक कचौड़ी वाले की याचिका पर कोर्ट ने सख्त एक्शन लिया है. दरअसल, हाई कोर्ट ने जयपुर के कचौड़ी वाले की याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय और RBI से जवाब मांगा है.
साथ हीं, पूछा है कि क्या किसी भी जांच एजेंसी के कहने से बैंक किसी व्यक्ति का अकाउंट सीज कर सकता है. इस संबंध में RBI और गृह मंत्रालय की क्या गाइडलाइन है. दरअसल, मामला है कि तेलंगाना के पीड़ित के अकाउंट से लाखों रुपए का फ्रॉड हुआ था और वह फ्रॉड की राशि अलग-अलग अकाउंट में जमा कराई गई.
तेलंगाना साइबर क्राइम निर्देश पर कचौड़ी वाले का बैंक अकाउंट सीज
इस राशि में से 5 हजार याचिकाकर्ता के अकाउंट में जमा हुए थे. ऐसे में, तेलंगाना साइबर क्राइम पुलिस के निर्देश पर बैंक ने याचिकाकर्ता के अकाउंट को फ्रीज कर दिया. इसके बाद याचिकाकर्ता ने मामला उठाया.
याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि 16 अगस्त को बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने तेलंगाना साइबर क्राइम पुलिस के निर्देश पर त्रिवेणी नगर चौराहे पर पार्टनरशिप में कचौड़ी की दुकान लगाने वाले पदम कुमार जैन का बैंक अकाउंट सीज कर दिया था.
अकाउंट सीज होने के कारण उनके व्यवसाय को नुकसान हुआ
याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि इसी अकाउंट से उनका पूरा ट्रांजैक्शन होता था और वह इसी अकाउंट के माध्यम से दुकान पर लेनदेन करते थे. अकाउंट सीज होने के कारण उनके व्यवसाय को नुकसान हुआ, जिससे उनका घर चलाना भी मुश्किल हो गया.
उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि बैंक ने बिना किसी नोटिस या पूर्व सूचना के खाता सीज कर दिया और ना ही सीज करने से पहले मजिस्ट्रेट की अनुमति ली गई. सनवाई के दौरान सरकार की ओर से पक्ष रखा गया और कहा गया कि 9 मई 2025 के डीजीपी के सर्कुलर को फॉलो किया जाता है.
याचिकाकर्ता के खाते को डी-फ्रीज करने का निर्देश
वहीं, केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि साइबर फ्रॉड के लिए गृह मंत्रालय का सर्कुलर है, लेकिन इसे लेकर अभी तक पॉलिसी नहीं बनी है. उस पर काम चल रहा है और उसका ड्राफ्ट तैयार है. गृह मंत्रालय उस पर काम कर रहा है. इस पर कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और RBI को पॉलिसी को लेकर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं.
वहीं, कोर्ट ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र को निर्देश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता के खाते को डी-फ्रीज करें, जिससे वह लेनदेन कर सके. याचिकाकर्ता को भी कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि वह एजेंसी को जांच में पूरा सहयोग करे.