Rajasthan: बच्चों की सुरक्षा के लिए भजन लाल सरकार ने खांसी की दवा पर उठाए कड़े कदम, केंद्र ने की तारीफ
Cough Syrup Controversy: राजस्थान सरकार ने खांसी की दवा विवाद पर तुरंत कार्रवाई की, सभी बैच रोक दिए. डोर-टू-डोर सर्वे, जागरूकता अभियान और तकनीकी जांच शुरू. केंद्र सरकार ने कदम की सराहना की.

देश के कई राज्यों में खांसी की दवा की गुणवत्ता को लेकर बच्चों की बीमारी और मौत के मामले सामने आने के बाद राजस्थान सरकार की सक्रियता को केंद्र सरकार ने सराहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने राजस्थान समेत कई राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक की.
बैठक में राजस्थान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की तारीफ की गई और अन्य राज्यों को भी ऐसा ही करने के निर्देश दिए गए. बैठक में स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि खांसी की दवा की गुणवत्ता के मामले का पता चलते ही विभाग ने तुरंत उस दवा के सभी बैचों के उपयोग और वितरण पर रोक लगा दी. इसके साथ ही आमजन और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए एडवाइजरी जारी की गई.
उन्होंने बताया कि दवाओं के उपयोग के बारे में चिकित्सक, फार्मासिस्ट और आमजन की काउंसलिंग भी की जा रही है. खांसी की दवा के बजाय अन्य वैकल्पिक उपचार पर जोर दिया जा रहा है.
सीएचओ, एएनएम और आशा का डोर-टू-डोर सर्वे
राजस्थान सरकार ने आम जनता को जागरूक करने के लिए सीएचओ, एएनएम और आशा वर्करों के माध्यम से डोर-टू-डोर सर्वे शुरू किया है. इस सर्वे के दौरान बच्चों और अन्य लोगों में खांसी, जुकाम और बुखार के लक्षण वाले मरीजों को चिन्हित किया जा रहा है.
सर्वे के दौरान लोगों को यह बताया जा रहा है कि किसी भी बीमारी के लिए घर में रखी दवा का उपयोग न करें. नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सक से परामर्श लेकर ही दवा लें.
विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को बिना डॉक्टर की सलाह कोई दवा नहीं देने की चेतावनी दी जा रही है. घर में रखी दवाओं को बच्चों की पहुंच से दूर रखना भी जरूरी बताया गया है.
तकनीकी समिति कर रही गहन अध्ययन
गायत्री राठौड़ ने कहा कि खांसी की दवा और बच्चों में सामने आ रहे लक्षणों की जांच के लिए तकनीकी समिति भी गठित की गई है. इस समिति में प्रदेश के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ और अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं.
समिति बच्चों में दिखाई दे रहे लक्षणों, उन्हें दिए जा रहे उपचार और अन्य पहलुओं की गहन जांच कर रही है. कई विशेषज्ञों ने बताया कि इस मौसम में बच्चों में दिमागी बुखार, निमोनिया और सांस में तकलीफ जैसी गंभीर बीमारियां भी सामने आती हैं, जो बच्चों की जान लेने का कारण बन सकती हैं.
समिति का लक्ष्य यह पता लगाना है कि बच्चों की मौत के असली कारण क्या हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं.
केंद्र ने उठाए कदमों की सराहना की
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि हर साल बारिश के बाद खांसी, जुकाम और बुखार के मामलों में वृद्धि होती है. इस बार भी कई राज्य ऐसे मामलों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस स्थिति में आम लोगों में चिकित्सकीय परामर्श और दवा उपयोग के बारे में जागरूकता बहुत जरूरी है, ताकि किसी का जीवन खतरे में न पड़े.
केंद्रीय सचिव ने राजस्थान सरकार द्वारा बच्चों और गर्भवती महिलाओं को खतरे वाली दवाओं पर विशेष चेतावनी लगाने के निर्णय की प्रशंसा की और अन्य राज्यों को भी ऐसा ही कदम उठाने के निर्देश दिए.
प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद
बैठक में चिकित्सा शिक्षा आयुक्त इकबाल खान, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. अमित यादव, राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक पुखराज सेन, आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण डॉ. टी शुभमंगला सहित कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.
राठौड़ ने बैठक में बताया कि राजस्थान ने खांसी की दवा की गुणवत्ता के मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए न केवल दवा के वितरण पर रोक लगाई, बल्कि आमजन के जागरूक होने के लिए व्यापक कदम भी उठाए. उनका कहना था कि यह उपाय बच्चों और गर्भवती महिलाओं के जीवन को सुरक्षित बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं.
स्वास्थ्य विभाग ने आम जनता से अपील की है कि वे घर में रखी किसी भी दवा का प्रयोग बिना चिकित्सक की सलाह के न करें. खांसी, जुकाम और बुखार के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी चिकित्सक से संपर्क करें. बच्चों और गर्भवती महिलाओं को दवा देने से पहले हमेशा डॉक्टर की राय लें.
Source: IOCL























