Rajasthan Politics: राजस्थान में इन दिनों सियासी बयानबाजियां जमकर हो रही हैं. पिछले दिनों सचिन पायलट ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि वसुंधरा सरकार में हुए घोटालों की जांच कराई जानी चाहिए. ललित मोदी ) समेत जो भी लोग इस भ्रष्टाचार में लिप्त थे. उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. हम 2018 में इन्हीं मुद्दों को उठाकर सत्ता में आए थे और अब 2023 के चुनाव में लोगों को क्या जवाब देंगे ?
सचिन पायलट ने जिस समय और माहौल में वसुंधरा पर हमला बोला है वो ज्यादा महत्वपूर्ण है. इस अशोक गहलोत सरकार बजट पेश करने की तैयारी कर रही है और कांग्रेस आलाकमान भी शांत है. ऐसे में पायलट ने वसुंधरा राजे का नाम लेकर एक साथ कई निशाने लगा दिए हैं. साथ ही राजस्थान की राजनीति में हलचल भी बढ़ गई है.
पायलट और वसुंधरा पूर्वी राजस्थान से हैं आतेपूर्वी राजस्थान में कुल सात जिले आते हैं. अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, टोंक, सवाई माधोपुर और दौसा. इन जिलों में विधान सभा की कुल 39 सीटें हैं. जिसमें से 2013 में बीजेपी ने 28 सीटें जीती थीं और कांग्रेस को 7 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं एनपीपी को 3 और एक सीट बसपा को मिली थी. साल 2018 में बीजेपी को को केवल 4 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. 2018 में कांग्रेस को 25 सीटों पर जीत मिली थी. इस चुनाव में बसपा को 5 निर्दलीयों को 4 और आरएलडी को एक सीट मिली थी. सचिन पायलट टोंक से विधायक हैं. वहीं धौलपुर से 1985 में वसुंधरा राजे ने चुनाव जीता था. लेकिन 1993 के विधानसभा में वसुंधरा को हार मिल गई थी. वसुंधरा राजे और सचिन पायलट अपने वोटर्स पर पूरी नजर बनाए हुए हैं.
वसुंधरा राजे के जरिए सीएम गहलोत पर निशानासचिन पायलट ने वसुंधरा राजे पर हमला बोला है लेकिन इसके तार सीएम अशोक गहलोत से जुड़े हैं. जहां एक तरफ केंद्र सरकार सोनिया गांधी और राहुल गांधी की जांच करवा रही है. वहीं गहलोत सरकार वसुंधरा के कार्यकाल में लगे आरोपों पर कोई जांच नहीं करवा रही है. पायलट ने यही एक हथियार अपनाया है. जिसका गहलोत के पास कोई जवाब नहीं है. सचिन पायलट ने एक तरह से वसुंधरा और सीएम गहलोत के आपस में मिलने का आरोप भी लगा दिया है.
विधानसभा चुनाव की तैयारी के दिए संकेत सचिन पायलट ने वसुंधरा पर हमला बोलकर एक तरह से विधान सभा चुनाव की तैयारी का संकेत भी दे दिया है. इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. पायलट ने जो बातें कहीं उसे दूर तक जोड़ कर देखा जा रहा है. कहीं न कही यह भी समझा जा रहा है कि अब व्यक्तिगत आरोप -प्रत्यारोप बढ़ेंगे. वहीं बीजेपी भी पूरी तरह से अशोक गहलोत सरकार पर हमला बोल रही है. अब कांग्रेस की तरफ से सचिन पायलट ने भी मैदान संभाल लिया है.
प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए पायलट ने लगातार वसुंधरा राजे पर किया था वार पिछले छह साल तक सचिन पायलट कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे. उस दौरान विधान सभा चुनाव में सचिन पायलट ने खुलकर वसुंधरा राजे सरकार का विरोध किया था. उन्होंने उनकी सभी योजनाओं पर जमकर हमला बोला था. जानकार बताते हैं कि सचिन पायलट की वो रणनीति काम आई थी. इसके चलते बीजेपी को पूर्वी राजस्थान में बहुत नुकसान हुआ था. 2018 में कांग्रेस ने यहां बीजेपी से ज्यादा सीटें जीती थी. इस बार कम से कम पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस अपना गढ़ बचाए रखना चाहती है. इसके लिए पायलट ने ये नई रणनीति अपनाई है.
सचिन पायलट कर रहे हैं किसान जनसभा पूर्वी राजस्थान में जितने प्रमुख नेता है उनमें सचिन पायलट सबसे युवा है. सचिन पायलट युवाओं पर फोकस करने के लिए ही खूब दौरे कर रहे हैं. वो प्रमुख रूप से रोजगार और किसानों के मुद्दों को उठा रहे हैं . वहीं किसानों में कर्ज माफी को लेकर नाराजगी सुलग रही है. उसी को दूर करने के लिए सचिन पायलट ने किसान जनसभा शुरू की है. जहां पर एमएसपी को लेकर प्रस्ताव भी पारित किया जा रहा है.
सीएम गहलोत पर है सीधा निशानावरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर शर्मा का कहना है कि सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार पर बड़ा हमला बोला है. वो आलाकमान को यह बताने का प्रयास भी कर रहे हैं कि अशोक गहलोत सरकार भ्रष्टाचार पर भी कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती है. पिछले वर्षों में अशोक गहलोत की सरकार ने किसी बीजेपी नेता पर कोई कार्रवाई नहीं की है. वहीं वरिष्ठ पत्रकार विनोद पाठक का कहना है कि सचिन पायलट ने एक तरह से बगावत कर दी है. इससे अशोक गहलोत सरकार के चुनौती जैसी स्थिति पैदा हो गई है.
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