राजस्थान से ऊंटों को अन्य राज्यों में ले जाना अब और भी आसान हो गया है. पशुपालन विभाग ने कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत से नियमों की स्वीकृति लेकर नोटिफिकेशन जारी किया है. अब ऊंटपालक निर्धारित प्रपत्रों के माध्यम से ऊंट ले जाने की अनुमति प्राप्त कर सकेंगे. मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि राजस्थान ऊंट अधिनियम, 2015 में ऊंट को चराई, खेती, डेयरी और पशु मेलों में भाग लेने के लिए राज्य से बाहर ले जाने का प्रावधान है.
नए नियमों के तहत परमिट कैसे मिलेगा?
वर्तमान में इस अधिनियम के लगभग 10 वर्ष बाद नियम बनाए गए हैं. इसके अनुसार संबंधित कलक्टर से परमिट या विशेष परमिट लेकर ऊंटों को उपरोक्त कार्यों के लिए राजस्थान से बाहर ले जाया जा सकेगा. परमिट जारी करने की शक्तियां उपखंड अधिकारी और राज्य स्तरीय पशु मेलों में मेला प्रभारी अधिकारी को भी दी जाएंगी. मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि नए नियमों में कुछ नई शर्तें जोड़ी गई हैं, और उसके आधार पर ऊंट को बाहर ले जाने की अनुमति दी जाएगी. आने वाले दिनों में जिला कलेक्टर के अलावा एसडीओ भी परमिट जारी कर सकेंगे.
ऊंट का अस्थाई प्रव्रजन और मेलों में भागीदारी
राज्यों में निर्यात के प्रयोजन के लिए ऊंट के अस्थाई प्रव्रजन पर सरकार से अनुमति लेना आवश्यक होगा. देशभर में आयोजित पशु मेलों में भी ऊंट को राज्य से बाहर भेजा जा सकेगा, लेकिन इसके लिए परमिट लेना होगा और निश्चित समय पर ऊंट को वापस लाना होगा. मेलों के दौरान पशुपालन विभाग के मेला प्रभारी अधिकारी भी सक्षम अधिकारी के रूप में ऊंट को अन्य राज्य में भेजने के लिए सशर्त परमिट जारी कर सकेंगे.
कृषि, डेयरी और सुरक्षा के लिए ऊंट परिवहन नियम
कृषि कार्यों, डेयरी उद्योग और अभावग्रस्त क्षेत्रों में चराई के प्रयोजन के लिए भी ऊंट को राज्य से बाहर ले जाना संभव होगा. सक्षम अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऊंट की संख्या में कोई कमी न आए. मंत्री जोराराम कुमावत ने चेतावनी दी कि नियमों का उल्लंघन करने पर राजस्थान ऊंट अधिनियम, 2015 के तहत ऊंट का वध या अस्थायी निर्यात करने पर 5 साल तक कठोर कारावास और 20 हजार रुपए तक का जुर्माना होगा