जैसलमेर और जयपुर ग्रामीण में चलती बस में आग लगने और उसमें कई यात्रियों की मौत की घटनाओं के बाद परिवहन विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई के विरोध में राजस्थान के प्राइवेट बस ऑपरेटर्स आज से हड़ताल पर चले गए हैं. हड़ताल की वजह से राजस्थान में चलने वाली साढ़े आठ हज़ार से ज्यादा बसें जहां की तहां खड़ी हैं. प्राइवेट बसें नहीं चलने की वजह से इनमें सफर करने वाले तीन लाख से ज़्यादा यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
आज पहले दिन इस हड़ताल का जबरदस्त असर देखने को मिल रहा है. प्राइवेट ऑपरेटर्स ने अपनी बसों को खड़ा कर दिया है. राजस्थान प्राइवेट बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन का कहना है कि परिवहन विभाग उनका उत्पीड़न कर रहा है. दो बड़े हादसों के बाद मनमाने तरीके से कार्रवाई की जा रही है. डेढ़ डेढ़ लाख रुपये तक के चालान काटे जा रहे हैं.
'यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाएगा कतई बर्दाश्त'
ऑपरेटर का यह भी कहना है कि वह नियमों का पालन करने को तैयार है, लेकिन इसके लिए उन्हें तीन महीने की मोहलत दी जानी चाहिए. दूसरी तरफ परिवहन विभाग का कहना है कि यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और नियमों के खिलाफ चलने वाली प्राइवेट बसों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
'...तब तक नहीं चलेंगी बसें'
दरअसल राजस्थान के परिवहन विभाग ने आज यानी एक नवंबर से सुरक्षित सफर नाम से अभियान चलाए जाने का ऐलान किया था. इसमें मानकों के खिलाफ चलने वाली प्राइवेट बसों के खिलाफ कार्रवाई होनी थी. अभियान शुरू होने से पहले ही प्राइवेट बस ऑपरेटर आज से हड़ताल पर चले गए हैं. संगठन के उपाध्यक्ष मदन यादव का कहना है कि जब तक सरकार उनका उत्पीड़न रोके जाने का ऐलान नहीं करेगी तब तक बसें नहीं चलेंगी और हड़ताल जारी रहेगी.
इस मुद्दे पर अब सियासत हो गई है शुरू
बहरहाल प्राइवेट बस ऑपरेटरों की हड़ताल का खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है. इस मुद्दे पर अब सियासत भी शुरू हो गई है. पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सरकार से प्राइवेट बस ऑपरेटर्स से बातचीत कर इनका संचालन जल्द से जल्द शुरू कराने की मांग की है. अब देखना यह होगा कि सरकार बस ऑपरेटर्स से बातचीत करती है या फिर उनके खिलाफ सख्त कदम उठाती है.
यात्रियों को भगवान भरोसे ही करना पड़ रहा है सफर
दरअसल राजस्थान में चलने वाली ज्यादातर बसों में पीछे की तरफ कोई एग्जिट गेट नहीं है और ना ही आग बुझाने के उपकरण हैं. पीछे की तरफ जहां गेट होना चाहिए था, वहां पर यात्रियों के लिए सीट या स्लीपर लगा दी गई है. जैसलमेर और जयपुर ग्रामीण में जिन बसों में आग लगी थी, उसमें भी पीछे की तरफ कोई इमरजेंसी गेट नहीं था. परिवहन विभाग का कहना है कि नियमों का पालन नहीं होने की वजह से यात्रियों को भगवान भरोसे ही सफर करना पड़ रहा है. हालांकि प्राइवेट बस ऑपरेटर्स का कहना है कि रोडवेज और उनकी बसों में कोई खास फर्क नहीं है.