राजस्थान में अफसरों और जनप्रतिनिधियों के बीच खींचतान लगातार बढ़ती जा रही है. राज्य में मंत्रियों और सांसदों की नाराजगी पहले भी कई बार सामने आती रही है और अब उदयपुर से बीजेपी सांसद डॉ. मन्नालाल रावत की एक चिट्ठी ने इस बहस को और तेज कर दिया है. सांसद रावत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर प्रतापगढ़ जिले के कलेक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

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सांसद रावत ने सीएम को भेजी गई शिकायत में लिखा है कि प्रतापगढ़ जिले की DMFT यानी डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट की बैठक 11 फरवरी 2024 को आयोजित की गई थी. इस बैठक में कुल 54 कार्यों को मंजूरी मिली थी. इनमें से 32 कार्य स्कूलों में क्लास रूम के निर्माण और मरम्मत से संबंधित थे. भारी बारिश के कारण जिले के कई स्कूल भवन कमजोर और जर्जर हो गए थे, इसलिए इन कार्यों को तुरंत शुरू किया जाना जरूरी था.

54 में सिर्फ तीन कार्यों पर कलेक्टर ने जारी किया बजट- मन्नालाल रावत

सांसद का आरोप है कि जिला कलेक्टर ने 54 में से सिर्फ तीन कार्यों के लिए ही बजट जारी किया. बाकी 51 कार्यों के लिए आज तक बजट स्वीकृत नहीं हुआ है. सांसद का कहना है कि इन महत्वपूर्ण कार्यों की अनदेखी बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा दोनों के साथ खिलवाड़ है. इससे भी आगे उन्होंने यह आरोप लगाया कि कलेक्टर ने कई जनप्रतिनिधियों को बजट और कार्यों से जुड़ी गलत जानकारी भी दी है.

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कलेक्टर के खिलाफ होनी चाहिए सख्त कार्रवाई- सांसद

सांसद मन्नालाल रावत का मानना है कि यह जानबूझकर की गई लापरवाही है और कलेक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने मुख्यमंत्री से कलेक्टर को चार्जशीट करने और सभी मंजूर किए गए कार्यों का बजट तुरंत जारी कराने के आदेश देने की मांग की है. सांसद ने अपनी यह शिकायत चिट्ठी मीडिया में भी साझा की, जिसके बाद मामला सोशल मीडिया पर तेजी से चर्चा का विषय बन गया.

राजस्थान में चल रहा अफसर राज- विपक्षी दल

इस विवाद के बीच विपक्ष ने भी इस मुद्दे को हाथों-हाथ लिया है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि राजस्थान में 'अफसर राज' चल रहा है और जनप्रतिनिधियों की बात सुनी ही नहीं जा रही. कांग्रेस के मीडिया कोऑर्डिनेटर स्वर्णिम चतुर्वेदी ने कहा कि जब एक सांसद की बातें नहीं सुनी जा रहीं, तो आम जनता की क्या स्थिति होगी.

सूत्रों के अनुसार सांसद ने कलेक्टर से पहले कई बार फोन पर और व्यक्तिगत रूप से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. मजबूर होकर उन्हें मुख्यमंत्री को पत्र लिखना पड़ा. फिलहाल बीजेपी सांसद की यह शिकायत राजनीति में एक नया विवाद बन गई है और लोग सोशल मीडिया पर इसकी जमकर चर्चा कर रहे हैं.

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