राजस्थान में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ और वर्तमान नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के बीच बाड़मेर रिफाइनरी को लेकर छिड़ी तकरार अब खुलकर सोशल मीडिया पर सामने आ गई है. दोनों नेता एक-दूसरे पर आरोप, तंज और पलटवार करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं.

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मामला तब गरमाया जब राजेन्द्र राठौड़ ने कांग्रेस की पिछली सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि अगर रिफाइनरी आपकी सरकार की प्राथमिकता थी, तो 5 साल में कितना काम हुआ? राठौड़ के इस सवाल ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी.

टीकाराम जूली ने किया पलटवार

इसके जवाब में टीकाराम जूली ने भी पलटवार करने में देर नहीं लगाई. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने 4 साल तक परियोजना को रोके रखा, जिससे लागत 37 हजार करोड़ से बढ़कर 79 हजार करोड़ तक पहुंच गई. जूली ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार को जबरन 26% का पार्टनर बनाया गया, जिससे 10,000 करोड़ का अतिरिक्त बोझ जनता पर पड़ा.

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जूली यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा, "4 साल तक ‘रिव्यू’ के नाम पर आपने राजस्थान के भविष्य से खिलवाड़ किया. अभी तो आप सरकार के ‘बिन मांगी सलाह’ देने वाले सलाहकार हैं, पर उस समय तो आप ही मुख्य सलाहकार हुआ करते थे.”

जूली के तंज का जवाब देते हुए राठौड़ ने याद दिलाया कि सलाहकार की नियुक्ति तो कांग्रेस सरकार ने भी की थी. उन्होंने कहा, “आपकी सरकार ने 6 विधायकों को सलाहकार बनाया था. मुझे आपके प्रति सहानुभूति है कि आप उस समय सलाहकार नहीं थे, वरना 25 सितंबर 2022 का वह कुख्यात घटनाक्रम शायद घटित ही नहीं होता.”

सहानुभूति की जरूरत आपको है- जूली 

राठौड़ की प्रतिक्रिया के बाद जूली ने फिर तीखा वार किया. उन्होंने कहा, “मेरी सहानुभूति की चिंता आप न करें, सहानुभूति की जरूरत आज आपको ज्यादा है. मुख्यमंत्री को आपके लिए सरकारी प्रवक्ता का पद बना देना चाहिए.”

जूली ने राठौड़ और वसुंधरा राजे के संबंधों पर भी सवाल उठाते हुए पूछा कि एक समय आप वसुंधरा राजे के सबसे बड़े सलाहकार थे. फिर ऐसा क्या हुआ कि आप उनसे दूर हो गए? कौन सा राज है जिसने आपको हाशिए पर ला दिया?

दोनों नेताओं की यह जुबानी जंग फिलहाल रुकने का नाम नहीं ले रही. सोशल मीडिया पर इनके बयान तेजी से वायरल हो रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि रिफ़ाइनरी जैसे बड़े मुद्दे पर बहस होना चाहिए, लेकिन नेताओं की यह तकरार अब व्यक्तिगत तंज में बदल चुकी है.