Rajasthan Election News 2023:  राजस्थान में विधानसभा (Rajasthan Assembly Election) चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही राजनीतिक पार्टियां अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर रही है. बीजेपी (BJP) ने राजस्थान (Rajasthan) में 41 प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं. तो वहीं बहुजन समाज पार्टी ने भी अपने कुछ प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. आजाद समाज पार्टी ने भी पहले 11 प्रत्याशियाशी घोषित किए थे. आज यानी गुरुवार (19 अक्टूब) को आजाद समाज पार्टी ने 6 और प्रत्याशी घोषित किये हैं. 

डीग जिले की नगर विधानसभा सीट पर आजाद समाज पार्टी (भीम आर्मी पार्टी) (Azad Samaj Party) ने अपने प्रत्याशी को घोषित कर दिया है. पार्टी ने नेम सिंह फौजदार (Nem Singh Faujadar ) अपना उम्मीदवार बनाया है. नेम सिंह फौजदार बीजेपी (BJP) किसान मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता थे और नगर विधानसभा सीट से बीजेपी का टिकट मांग रहे थे, लेकिन बीजेपी ने 41 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में नगर विधानसभा से जवाहर सिंह बेडम को अपना प्रत्याशी घोषित किया. इसके बाद नेम सिंह फौजदार ने बीजेपी से बगावत कर दी है और आजाद समाज पार्टी का दामन थाम लिया. 
 
तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं नेम सिंह फौजदार

आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी नेम सिंह फौजदार विधानसभा के तीन चुनाव पहले लड़ चुके है.  नेम सिंह फौजदार वर्ष 2008 में वह चौथे नंबर पर रहें, 2013 में समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़कर तीसरे नंबर पर रहें और वर्ष 2018 में भी समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़कर दूसरे नंबर पर रहें थे.  वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में नेम सिंह फौजदार ने बीजीपी का दामन थाम लिया था. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने नेम सिंह को किसान मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी थी.

नेम सिंह ने क्यों छोड़ा बीजेपी का दामन? 

जिसके बाद नेम सिंह फौजदार (Nem Singh Faujadar) ने बीजेपी से नगर विधानसभा सीट पर टिकट की दावेदारी कर दी,  लेकिन बीजेपी ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कामां विधानसभा सीट पर 40 हजार वोटों से हारने वाले प्रत्याशी जवाहर सिंह बेडम को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया. 

जिसके बाद नेम सिंह फौजदार ने बीजेपी से बगावत कर आजाद समाज पार्टी का दामन थाम लिया है और आजाद समाज पार्टी ने नेम सिंह को नगर विधानसभा सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. दूसरी तरफ बीजेपी से दो बार विधायक रहीं अनीता सिंह भी बीजेपी की टिकट पर दावेदारी कर रही थी, लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह भी बीजेपी से बागी हो गईं, और एक पंचायत का आयोजन कर उन्होंने भी बागी बनकर चुनाव लड़ने का फैसला किया. 

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