Rajasthan Elections 2023: राजस्थान में आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियां मैदान में उतर चुकी है.  ऐसे में पार्टी के लिए बड़ी चुनौती यह है कि ऐसी विधानसभा सीट को फोकस किया जाए जहां पार्टी 2 और 3 बार विधानसभा चुनाव हार चुकी है. ऐसी राजस्थान में करीब 50 सीटें मानी जा रही है. उसमें उदयपुर संभाग या कहे मेवाड़, यहां ऐसी 10 सीटें है जहां कांग्रेस कमजोर नजर आ रही है, क्योंकि 2 और 3 बार चुनाव हार चुकी है. जबकि मेवाड़ में कुल ही सीटें 28 है जिसमें से कांग्रेस के पास 10 सीटें हैं. जानते हैं वह कौन सी सीटें हैं और कांग्रेस की इन पर क्या रणनीति है.

यह है 10 विधानसभा सीटउदयपुर संभाग की बात करें तो यहां 6 जिले हैं जिसमें 28 विधानसभा सीटें हैं. इनमे से 4 ऐसी सीटें है जहां 3 और 6 ही ऐसी सीटें हैं जहां कांग्रेस लगातार दो बार चुनाव हार चुकी है. लगातार 3 और इससे ज्यादा बार हारने वाली सीटों में उदयपुर शहर, राजसमंद, बांसवाड़ा की घाटोल और कुशलगढ़ विधानसभा सीट है. वहीं 2 बार चुनाव हारने वाली में बांसवाड़ा जिले की गढ़ी, डूंगरपुर की सागवाड़ा, चौरासी और आसपुर सीट हैं. वहीं उदयपुर जिले की सलूंबर और उदयपुर ग्रामीण सीट है.

मेवाड़ इसलिए जरूरीमेवाड़ में ऐसी 10 विधानसभा सीट है जहां कांग्रेस लंबे समय से पिछड़ी हुई है. बड़ी बात यह है कि मेवाड़ की 28 विधानसभा सीट में से कांग्रेस के पास 10, वहीं बीजेपी बढ़त के साथ 15 पर हैं. मेवाड़ में ऐसे विधानसभा भी है जो बीजेपी का गढ़ कहा जाता है. इन्हे भेदना बड़ी चुनौती है. यह भी खाते हैं कि पिछला चुनाव छोड़ दिया जाए तो यहां जो जीता, सरकार उसी को बनती है. इसलिए कांग्रेस पूरा दम यहां बीजेपी को पछाड़ लीड लेने में है. इसलिए कमजोर क्षेत्र को मजबूत करने की रणनीति पर यह शुरुआत की है.

प्रदेश सचिव स्तर के पदाधिकारी लगेंगेकांग्रेस प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने कहा कि राजस्थान की ऐसी 53 विधानसभा है जिन पर फोकस किया जा रहा है. इसमें तय किया गया है की प्रदेश सचिव स्तर के पदाधिकारियों को ऐसी हर एक विधानसभा पर प्रभारी नियुक्त करेंगे. वह लोगों से मिलना, मॉनिटरिंग करना, कही कमियां दिख रहे है उसे दूर करना, जनसंपर्क करना आदि कार्य किए जाएंगे.

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