Rajasthan News: पश्चिमी राजस्थान का मरुस्थलीय इलाका वन्य जीव विविधता के लिए जाना जाता है. रेड बुक में दर्ज अधिकांश विलुप्त प्रजाति के पक्षी और पशु मरुस्थलीय जिलों में मिल जाते हैं. विशाल भूभाग में फैले रेगिस्तानी मैदानी इलाकों में इसकी बहुतायत रहती है. इस बार वन्यजीवों की गणना में सर्वाधिक राज्य पक्षी गोडावण नजर आना सुखद संकेत माना जा रहा है. वन विभाग की तरफ से वन्यजीवों की गणना दो साल बाद पहली बार की गई है. डेजर्ट नेशनल पार्क में गोडावणों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.

अमूमन वाटर हॉल पद्धति से होने वाली वन्यजीवों की गणना में इतने गोडावण नजर नहीं आते हैं. 24 घंटे में वन्यजीव एक बार पानी पीने के लिए वाटर हॉल पर आता है लेकिन गोडावण के मामले में ऐसा नहीं है. समय समय पर विचरण क्षेत्र बदलता रहता है और ग्रामीण क्षेत्रों में मिलने वाले देसी फल, वनस्पति खाने से पानी की पूर्ति हो जाती है. ऐसे में वाटर हॉल पद्धति गोडावण की गणना के लिए सटीक नहीं मानी जाती है. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया विशेष तरीके से गणना करता है. डीएनपी और आसपास के इलाके को अलग अलग टुकड़ों में बांटकर टीमें तैनात की जाती हैं. गोडावण नजर आने के साथ साथ उसका टाइम भी दर्ज किया जाता है ताकि एक गोडावण की काउंटिंग दो बार न हो. गोडावण के लिए विशेष तरह की गणना सटीक मानी जाती है.

डब्ल्यूआईआई का आंकड़ा पहुंच सकता 150 तक

वन्य जीव विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वाटर हॉल में इतने सारे गोडावण नजर आए हैं तो आंकड़ा 150 से अधिक हो सकता है. इसकी वजह है कि वाटर हॉल गणना सिर्फ क्लोजर और डीएनपी इलाके में ही होती है जबकि डब्ल्यूआईआई गोडावण की गणना डीएनपी के बाहरी एरिया में भी करता है. मुख्य रूप से पोकरण फायरिंग रेंज के आसपास क्योंकि वहां ज्यादातर गोडावण नजर आते हैं. उपवन संरक्षक, डीएनपी कपिल चंद्रवाल ने बताया कि वाटर हॉल पद्धति से होने वाली गणना में आम तौर पर कम ही गोडावण नजर आते हैं. 2019 में केवल 19 और 2018 में 13 गोडावण ही नजर आए थे. इस बार सर्वाधिक 42 गोडावण दिखे हैं. जानकारों का मानना है कि निश्चित तौर पर गोडावण की संख्या में इजाफा हुआ है, नहीं तो वाटर हॉल गणना में इतने गोडावण नजर नहीं आते.

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वाटर हॉल पद्धति से पहली बार दिखे 42 गोडावण

सुखद संकेत है कि लगातार कम होते गोडावणों के बीच इस बार वाटर हॉल पद्धति से वन्यजीवों की गणना में 42 गोडावण नजर आए हैं. पहली बार इस पद्धति की गणना में गोडावण की बड़ी संख्या दिखी है. ऐसे में माना जा रहा है कि कोरोना काल में 2018 के बाद गोडावण की संख्या में इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा कि हम लगातार डब्ल्यूआईआई के संपर्क में हैं और प्रयासरत हैं कि जल्द ही गणना शुरू की जाए. निश्चित तौर पर इस बार बड़ी तादाद में गोडावण नजर आ सकते हैं. कोरोना काल के दो साल बाद हुई गणना में ये वन्यजीव नजर आए. इस पूर्णिमा की धवल चांदनी में हुई वन्य जीव गणना के दौरान जंगली बिल्ली 18, मरु बिल्ली 26, इंडियन फोक्स 173, डेजर्ट फोक्स 101, नीलगाय 390, चिंकारा 1249, जंगली सुअर 345, गोडावण 42, गिद्ध 142, शिकारी पक्षी 159, मोर 117, सांडा 120 विभिन्न पेयजल स्रोतों पर देखे गए.

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