उदयपुर की मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने मुगल बादशाह औरंगजब को कुशल शासक बताए जाने के मामले में माफी मांग ली है. अपने संदेश में उन्होंने कहा कि राजस्थान वीरों की भूमि है. यहां के वीरों ने कभी भी मुगल शासकों के सामने सर नहीं झुकाया और उनका डटकर मुकाबला किया.

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सुनीता मिश्रा ने कहा, ''हाथ जोड़कर राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना, समस्त मेवाड़ वासियों, राजस्थान वासियों एवं विशेषकर राजपूत समाज से क्षमा प्रार्थी हूं. मेवाड़ की यह भूमि केवल एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं, बल्कि वीरता, स्वाभिमान और त्याग का प्रतीक है. यही वह पवित्र धरती है जिसने महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान जैसे अमर यशस्वी वीरों को जन्म दिया, जिन्होंने मातृभूमि और धर्म की रक्षा हेतु कठिनतम परिस्थितियों में भी समझौता नहीं किया. उनकी गौरवगाथा हम सभी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगी.''

यह मेरी भूल है- सुनीता मिश्रा 

उन्होंने कहा, ''हाल ही में उदयपुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में मेरे द्वारा दिए गए वक्तव्य मे औरंगजेब को एक कुशल शासक बताया गया. इस कारण महाराणा प्रताप के अनुयायियों और राजपूत समाज की भावनाओं को बहुत ठेस पहुंची है, यह मेरी भूल है. मेरा उद्देश्य कभी भी इस अमर वीरभूमि और इसके महानायकों का अपमान करना नहीं था. मैं तहे दिल से समस्त मेवाड़ वासियों, राजस्थान वासियों एवं विशेषकर राजपूत समाज से अपनी भूल की क्षमा माँगती हूँ.''

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सुनीता मिश्रा ने कहा, ''मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानती हूं कि मुझे महाराणा प्रताप की चरणरज से पवित्र इस मेवाड़ की धरती पर कार्य करने और सेवा का अवसर मिला है. इस गौरवशाली भूमि के प्रति सम्मान और निष्ठा मेरे हृदय में सदैव बनी रहेगी. अतः मैं पुनः निवेदन करती हूँ कि मेरे वक्तव्य से हुई सभी प्रकार की पीड़ा के लिए मुझे क्षमा करने का कष्ट करें.''

विवाद खत्म?

वाइस चांसलर प्रोफेसर सुनीता मिश्रा के सार्वजनिक माफीनामे के बाद अब यह विवाद पूरी तरह खत्म हो जाने की उम्मीद है. उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कई संगठनों ने उनकी माफी को मंजूर कर लिया है. हालांकि वाइस चांसलर प्रोफेसर सुनीता मिश्रा का यह भी कहना था कि कुछ लोगों ने उनके बयान को गलत तरीके से तोड़ मरोड़ कर पेश किया था. उन्होंने कभी भी मुगल बादशाह की तारीफ नहीं की थी. कॉन्फ्रेंस में शिक्षाविद होने के नाते तत्कालीन घटनाक्रम का जिक्र कर रही थी.