राजस्थान की राजनीति में विधायक निधि से जुड़े कथित कमीशनखोरी मामले ने बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया है. एक अखबार के स्टिंग ऑपरेशन में तीन विधायकों पर विधायक निधि का फंड रिलीज करने से पहले कमीशन मांगने के आरोप लगा है. इनमें कांग्रेस, बीजेपी और शिवसेना के एक-एक विधायक शामिल बताए जा रहे हैं. अब इस मामले में उनकी मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं.

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हाई लेवल कमेटी कर रही जांच

राज्य सरकार ने इस गंभीर मामले को देखते हुए चीफ विजिलेंस कमिश्नर की अगुवाई में एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी पूरे स्टिंग ऑपरेशन, आरोपों और तथ्यों की गहन जांच करेगी. सरकार की तरफ से साफ संकेत दिए गए हैं कि जांच निष्पक्ष होगी और किसी को भी बचाया नहीं जाएगा.

मामले की गंभीरता को देखते हुए विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी ने भी जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने इस मामले को विधानसभा की सदाचार समिति को सौंप दिया है. स्पीकर ने समिति से कहा है कि वह जल्द से जल्द जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट सौंपे, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके.

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विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कहा कि इस तरह के मामले जनता के मन में अविश्वास पैदा करते हैं. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि विधायक निधि जैसे जनहित के फंड में भ्रष्टाचार लोकतंत्र की मर्यादाओं के खिलाफ है. इससे न केवल लोकतंत्र बल्कि राजस्थान की छवि भी खराब होती है.

भ्रष्टाचार किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं

विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी ने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता. चाहे वह किसी भी पार्टी का विधायक क्यों न हो, दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि स्टिंग ऑपरेशन से जुड़ी रिपोर्ट और जांच के निष्कर्षों के आधार पर दोषियों पर सख्त कदम उठाए जाएंगे. मामले को लेकर सरकार ने भी जांच के आदेश दिए है.