देशभर में किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी, लेकिन अब यही योजना ठगी का बड़ा जरिया बनती जा रही है. राजस्थान के जोधपुर जिले में इस योजना के तहत किसानों की जमीन पर फर्जी बटाईदार बनकर बीमा क्लेम उठाने के चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं. एबीपी न्यूज़ की जांच में पता चला है कि जोधपुर, बावड़ी, सायला, खेड़ापा, पीपाड़ और लूनी क्षेत्रों में सैकड़ों फर्जी बीमा क्लेम दर्ज किए गए हैं.
किसानों की जमीन पर बटाईदार बनकर मचा रखा है खेल
ठगों ने योजना की प्रक्रिया में मौजूद एक बड़ी खामी (लूपहोल) का फायदा उठाया. सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, अगर कोई किसान अपनी जमीन किसी बटाईदार (किराएदार किसान) को खेती के लिए देता है, तो वह भी बीमा का पात्र होता है. इसी नियम का दुरुपयोग करते हुए ठगों ने फर्जी इकरारनामे तैयार किए और खुद को जमीन का बटाईदार दिखाकर बीमा कंपनियों से लाखों रुपये के क्लेम उठा लिए. जांच में सामने आया है कि कई असली जमीन मालिकों को इस बात की भनक तक नहीं लगी कि उनकी जमीन पर बीमा हो रहा है और क्लेम उठाए जा रहे हैं.
3 साल से उठ रहा बीमा और किसान को खुद नहीं पता
मोरनावड़ा निवासी किसान कंचन सिंह बताते हैं, “इस बार बारिश से पूरी फसल बर्बाद हो गई, तो बीमा करवाने गया. जनसेवा केंद्र पर पता चला कि मेरी जमीन पर तो पहले से ही किसी और के नाम बीमा है और पिछले तीन साल से क्लेम भी उठ रहा है! मेरी 28 हेक्टेयर जमीन पर रबी और खरीफ दोनों फसलों का बीमा चल रहा है. जब कृषि रक्षक पोर्टल की हेल्पलाइन पर कॉल किया तो पता चला कि मेरे नाम की जमीन पर सोयला के प्रकाश, उसकी पत्नी नीतू और रवि दैय्या के नाम से बीमा पॉलिसी जारी है. मैं इन लोगों को जानता तक नहीं. रबी 2024 में गेहूं की फसल पर करीब 3 लाख का क्लेम उठा लिया गया, जबकि मेरे खेत में गेहूं की खेती होती ही नहीं." कंचन सिंह ने खेड़ापा थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है.
बावड़ी के जगदीश मेघवाल ने बताया कि वह अपने खेत का फसल बीमा करवाने गया तो उसे पता चला कि उसके खेत पर पहले ही बटाईदार के नाम से फसल बीमा हो चुका है और इससे पूर्व में बटाईदार के द्वारा भुगतान भी उठाया गया है. इस जानकारी के बाद जगदीश मेघवाल ने बावड़ी पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करने की तैयारी कर रहा है. उन्होंने बताया कि जिस बटाईदार के नाम से क्लेम उठा है, न तो वह उनको जानता है न कभी देखा है और खुद के खेत में वह खुद ही काम करते हैं.
दूसरे मामले में जीरे का फसल बीमा मुआवजा उठाया गया है जिसमें पानी का सोर्स टंकी बताया गया है. अब अगर कोई पानी की टंकी से 90 बीघा जीरा की फसल ले सकता है तो किसान बहुत जल्दी करोड़पति बन जाते, जबकि यह खसरा असंचित है.
करोड़ों के क्लेम उठ चुके, गिरोह की बड़ी साजिश
भारतीय किसान संघ के बावड़ी ब्लॉक अध्यक्ष मुकनाराम छापरिया बताते हैं, "साल 2024 में केवल बावड़ी ब्लॉक में 1 करोड़ 63 लाख रुपए गेहूं की फसल का क्लेम उठा लिया गया, जबकि यहां गेहूं की खेती होती ही नहीं. खरीफ सीजन में 93 लाख रुपए मोठ की फसल के क्लेम के नाम पर उठाए गए, जबकि यहां मूंग, बाजरा और कपास की खेती होती है. यह पूरा खेल जनसेवा केंद्रों, कृषि विभाग और बीमा कंपनियों की मिलीभगत से चल रहा है."
जनसेवा केंद्रों से हुआ पूरा फर्जीवाड़ा
एबीपी न्यूज़ की जांच में सामने आया कि फर्जी बीमा क्लेम का सिलसिला जनसेवा केंद्रों से शुरू हुआ. फर्जी बटाईदारों के नाम पर स्टांप पेपर पर इकरारनामे तैयार कर पोर्टल पर अपलोड किए गए, लेकिन किसी स्तर पर फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं हुआ. इसके बाद जब फसल खराब घोषित की गई तो गिरदावरी रिपोर्ट भी राजस्व विभाग और बीमा कंपनी के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से तैयार कर दी गई. गिरदावरी रिपोर्ट में फसल का नुकसान 80 से 90 प्रतिशत दिखाकर भारी क्लेम उठाए गए.
जोधपुर जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल ने एबीपी न्यूज़ से कहा, "ऐसे कई मामले हमारे संज्ञान में आए हैं. पूरी जांच कराई जाएगी. दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी. किसानों से भी अपील है कि वे अपने दस्तावेज किसी को न दें और जनसेवा केंद्रों पर सावधानी बरतें."
एबीपी न्यूज़ ने इस मामले पर एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी (AIC) के जिला कोऑर्डिनेटर वीपी सिंह और कृषि विभाग के जॉइंट डायरेक्टर एसएन गढ़वाल से संपर्क किया. वीपी सिंह ने फोन नहीं उठाया, जबकि एसएन गढ़वाल ने 2 नवंबर के बाद मिलने का समय दिया.
भारतीय किसान संघ की मांग- SOG से जांच कराई जाए
भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष तुलसाराम सिवर ने कहा, "यह करोड़ों रुपये की संगठित ठगी है. कृषि विभाग के अधिकारी और बीमा कंपनियों के एजेंट इसमें शामिल हैं. हमने कृषि मंत्री से मांग की है कि इसकी जांच SOG से कराई जाए. किसानों ने 10 हजार करोड़ का प्रीमियम जमा करवाया है, लेकिन क्लेम के नाम पर केवल 5100 करोड़ रुपये मिले हैं. जिन किसानों की फसलें वाकई नष्ट हुईं, उन्हें नहीं, बल्कि फर्जी काश्तकारों को फायदा मिला."
किसानों के लिए चेतावनी
अपने जनाधार और आधार कार्ड की कॉपी किसी अजनबी को न दें.ई-मित्र या जनसेवा केंद्र पर कोई भी आवेदन करते समय OTP और डिटेल्स खुद भरें.अपनी जमीन का बीमा स्टेटस कृषि रक्षक पोर्टल या ई-मित्र से खुद जांचें.फर्जी बीमा का संदेह होने पर तुरंत स्थानीय पुलिस या कृषि विभाग को सूचना दें.