Leopard Fell in Well: जोधपुर में शिकार का पीछा करते हुए तेंदुआ गहरे कुएं में गिर गया वन विभाग की रेस्क्यू टीम ने कार्रवाई करते हुए तेंदुए को रेस्क्यू कर कुएं से निकाला गया. 13 फरवरी को दोपहर 2 बजे को पाली ज़िले के चामुँडेरि के पास एक कुए में तेंदुआ के पाए जाने की सूचना मिली थी. इसके विषय में 1 फ़ोटो भी प्राप्त हुआ. उप वन संरक्षक वन्यजीव जोधपुर के आदेशानुसार जोधपुर से वन्यजीव रेस्क्यू टीम में वन्यजीव चिकित्सक डॉ. ज्ञान प्रकाश व बंशीलाल संखला मय ट्रैंकुलाईजेशन गन, पिंजरा, फ़र्स्ट एड किट और अन्य रेस्क्यू सामग्री लेकर रवाना हुए. देर शाम रेस्क्यू टीम मौक़े पर पहुंच गयी.
कुएं में पिंजरा उतार कर किया गया रेस्क्यूवन विभाग की टीम ने पाया की कुआं लगभग 60 फ़ीट गहरा था और इसमें लगभग 20 फ़ीट पानी था. इसको बाहर निकालने के लिए पिंजरा कुएं में उतारा गया, बिना ट्रैंकुलाईजेशन के पिंजरे में लाने के प्रयास किए गए, काफ़ी मशक़्क़त के बाद भी ये पिंजरे में नहीं आया क्योंकि आस पास काफ़ी अनावश्यक लोग मौजूद थे और वे बार बार रोकने पर भी इसको परेशान कर रहे थे. इस समय रात के 1 बज चुके थे, रात का समय होने के कारण और कुएं में पानी होने के कारण ट्रैंकुलाईजेशन नहीं करने का निर्णय वन्यजीव चिकित्सक ने लिया क्योंकि इसके कारण बेहोश होकर यह पानी में गिर सकता था इससे इसकी जान को ख़तरा था.
पिंजरे को दिया गया गुफा का रूपवन विभाग की टीम पिंजरे को वापस बाहर निकाल कर इसको ढक कर पिंजरे को गुफा का रूप देकर वापस कुएं में उतारा गया और इसके नज़दीक ही रस्सियों से बांध दिया गया. शेष रेस्क्यू कार्य अगले दिन करने का निर्णय लिया गया और टीम रात 2 बजे चमुंडेरि गांव में रात्रि विश्राम के लिए आ गयी। सुबह 3.45 पर तेंदुआ के पिंजरे में आने की सूचना मिली. फिर सुबह 6 बजे पिंजरा बाहर निकालने का कार्य किया गया. मौके पर प्राथमिक जांच में तेंदुआ पूरी तरह स्वास्थ्य पाया गया, शेष कार्यवाही के लिए नजदीक ही मौजूद वन विभाग की मालनू नर्सरी में लाया गया जहां पर सबसे पहले इसको सुबह की धूप दी गयी जो की सभी तेंदुआ के लिए ज़रूरी होती है.
पूरी तरह से स्वस्थ है तेंदुआवन विभाग की टीम द्वारा तेंदुए की स्वास्थ्य की जाँच की गयी, इसकी उम्र लगभग 2 साल है. इसको खाने के लिए 1 kg चिकन दिया गया इसने पूरा खाया और इसके बाद 1 kg और दिया गया वो भी खाया और पानी भी पिया. इससे साबित हो गया कि इसको अन्य उपचार की ज़रूरत नहीं है और इसके आज ही पुनर्वासित करने का निर्णय लिया गया. आज शाम 6.30 पर इसको चमुंडेरि के नज़दीक ही वन क्षेत्र में सफलतापूर्वक मुक्त कर दिया. इस पूरे रेस्क्यू कार्य में बाली के रेंजर महेंद्रपाल सिंह, वनपाल विक्रमसिंह और उनकी टीम और स्थानीय स्वयंसेवकों का सहयोग रहा.
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