देश विख्यात खाटू धाम में बिराज रहे बाबा श्याम को हारे का सहारा कहा जाता है. देश भर के भक्तों की मान्यताओं के अनुसार, बाबा श्याम के दर से कोई भक्त निराश नहीं लौटा. ऐसे में देश के अनेकों स्थान के भक्त बाबा श्याम को रिझा कर मनोकामना पूरी होने पर अनोखे अंदाज में खाटूश्याम के मंदिर में पहुंचते हैं. ऐसा ही एक अनोखा श्याम भक्त श्याम के दर पर पहुंचा है.
21 वर्षीय श्याम भक्त अपने आप को लोहे की जंजीरों से बांधकर मंदिर तक आया. इस अनोखे श्याम भक्त का नाम केशव सक्सेना है. उसने हाथ-पैरों के अलावा कमर को 10 किलो वजनी 12 लोहे की जंजीरों को बांधकर बाबा श्याम की पदयात्रा पूरी की है.
12 साल से लगातार खाटूश्याम जी आ रहा केशव बाबा श्याम के दर्शन करने के बाद केशव ने बताया कि वह पिछले 12 साल से लगातार खाटूश्याम जी आ रहा है. 9 साल की उम्र में पहली बार खाटू श्याम जी आया था. उसके बाद केशव बाबा श्याम का दीवाना यूं हुआ कि जब मन करता है तब बाबा श्याम के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए पहुंच जाता है.
केशव ने बताया कि एक बार उसके पास खाटूश्याम जी आने के पैसे नहीं थे. तब उसने घर से साइकिल उठाई और बिना किसी को बताए खाली जेब लेकर खाटूश्याम के पास आने के लिए चल दिया. तब, केशव श्याम भक्तों के बीच चर्चा का विषय बन गया था. इसके बाद अब लगातार दो बार से खुद को जंजीरों में जकड़ कर बाबा श्याम की पदयात्रा करने को लेकर भी केशव सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बन गया है. श्याम भक्त केशव की पदयात्रा पर बाबा श्याम के भजनों के साथ रील बना रहे हैं.
27 घंटे में पूरी की 18 किलोमीटर की यात्राकेशव सक्सेना ने बताया कि सोमवार को ट्रेन से वह नैनीताल से रवाना हुआ था. मंगलवार को दोपहर 1 बजे रींगस प्राचीन श्याम मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद खुद को 12 जंजीरों से जकड़ कर यात्रा की शुरुआत की, इसके बाद बुधवार को करीब 4.00 बजे के आसपास केशव खाटूश्याम जी मंदिर पहुंचा.
बता दें कि, रींगस से खाटूश्याम जी मंदिर की दूरी 18 किलोमीटर के आसपास है. यह दूरी तय करने में उसने करीबन 27 घंटे का समय लगाया है. दर्शन के बाद केशव ने खुद को अब जंजीरों से मुक्त कर लिया है. उसने बताया कि बाबा श्याम को प्रसन्न करने के लिए मैंने यह यह यात्रा की है.
9 साल की उम्र में माता-पिता ने छोड़ दिया थाकेशव उत्तर प्रदेश के रामपुर का रहने वाला है. उसने बताया कि 9 साल की उम्र में उसके माता और पिता ने अलग-अलग शादी कर ली. दोनों ने उसे बेसहारा छोड़ दिया. इसके बाद केशव ने बाबा का हाथ थामा. उसने बताया कि बाबा की कृपा से अब मैं अच्छा खासा कमाता हूं. जब भी मन करता है, तब खाटूश्याम जी आ जाता हूं. केशव अभी नैनीताल के पास स्थित एक छोटे से कस्बे में पानी की बोतल बनाने वाली फैक्ट्री में काम करता है.