Jodhpur News: जोधपुर एम्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में राजस्थान प्रदेश की पहली थायराइड कैंसर की सर्जरी अत्याधुनिक रोबोट तकनीक से सफलतापूर्वक की गई. डॉ जीवन राम विश्नोई (एसोसिएट प्रोफेसर) ने बताया कि इस अत्याधुनिक तकनीक से ऑपरेशन सिर्फ देश के गिने चुने मेट्रो शहरों में किया जाता है. 


बारीकी से होती है ये सर्जरी
दरअसल इस ऑपरेशन में रैबिट (रोबोटिक असिस्टेड ब्रेस्ट-एक्जेलो इनसफ्लेशन थारॉइडेक्टमी) तकनीक से मरीज के बगल में जगह बनाई जाती है और इसके बाद केवल आठ मिमी के तीन चीरे लगाकर ऑपरेशन को अंजाम दिया जाता है. इस सर्जरी को बहुत सावधानी और बारीकी से किया जाना आवश्यक है वर्ना थाइरोइड के बिलकुल पास में ही स्थित पैराथाइरॉइड ग्रंथि और बोलने के काम आने वाली नस को नुकसान पहुंचने की काफी संभावना रहती हैं. 


मरीज बिल्कुल स्वस्थ
पाली निवासी 44 वर्षीय महिला के गर्दन पर पिछले तीन महीनों से एक गांठ दिखाई दे रही थी. टेस्ट करवाने के बाद पता चला कि ये थायराइड कैंसर की साबित हुई. इसके लिए महिला ने एम्स में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में दिखाया. मरीज के इलाज का प्लान संस्थान निदेशक डॉ संजीव मिश्रा के अंडर में डॉ जीवन राम विश्नोई, डॉ धर्माराम पुनिया और डॉ निवेदिता शर्मा ने मिलकर के निर्धारित किया. इस सर्जरी को डॉ जीवन राम विश्नोई की टीम ने मैक्स अस्पताल दिल्ली के वरिष्ठ रोबोटिक कैंसर सर्जन डॉ सुरेंद्र डबास की सहायता से किया गया. इस सर्जरी में डॉ बिकास गुरुंग, सीनियर रेजिडेंट डॉ राहुल यादव, डॉ अल्केश, डॉ अनंत के साथ एनेस्थेसिया से डॉ प्रदीप कुमार भाटिया (प्रोफेसर एवं हेड) डॉ तनवी मेश्राम (सहायक आचार्य), सीनियर रेजिडेंट डॉ लवप्रिया शर्मा, डॉ पावना, व नर्सिंग स्टाफ में संतोष कुड़ी, पिताम्बर और जगदीश शामिल थे. इस ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. 


महिलाओं में ज्यादा होता है ये कैंसर
आमतौर पर थायराइड कैंसर की गांठ के लिए गले पर लम्बा चीरा लगाकर ऑपरेशन किया जाता है. ये कैंसर पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है, वो भी विशेषकर मध्यम उम्र की महिलाओं में होता है. मरीज की हमेशा इच्छा होती है कि उसकी ऑपरेशन के बाद में गर्दन पर ऑपरेशन का निशान नहीं आए, लेकिन परंपरागत तकनीक से ये संभव नहीं होता है. कितनी भी सावधानी के बाद भी सर्जरी के लम्बे चीरे का निशान गर्दन के ठीक सामने दिखाई देता है. इस समस्या के  हल के लिए रोबोट तकनीक एक वरदान से कम नहीं है. इसके अलावा सर्जिकल ऑंकॉलॉजी विभाग में विभिन्न कैंसर के लिए रोबोट तकनीक से करीब 75 से अधिक मरीजों का ऑपरेशन किया जा चुका है जिसमें मुख्य तौर पर इसोफैगस (आहार नली), पेट, आंत, मलाशय, यूटेरस (बच्चेदानी), इत्यादि के कैंसर है. वहीं अन्य कई कैंसर के ऑपरेशन दूरबीन से भी किए जाते है.


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