Rajasthan News: सरकारी योजनाएं तो बहुत हैं, लेकिन इन योजनाओं (Government schemes) का लाभ जरूरतमंदों को मिलना दूर की कौड़ी साबित होता है. अगर जनप्रतिनिधि और प्रशासन का सहयोग मिल जाए तो मुश्किल काम भी आसान हो जाते हैं. ऐसे कई बच्चे और जरूरतमंद हैं, जिनको इन सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है और आज वे सुखद और आरामदायक जीवन जी रहे हैं. ऐसे ही एक बालक का भी सरकार की (Rashtriya Bal Swasthya Karyakram) आरबीएसके योजना में महंगा उपचार संभव हो सका है. जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन के सहयोग से अब ये बच्चा अपनी जिंदगी में नए रंग भर सकेगा.


परेशान था परिवार
जनाभियोग निराकरण समिति के सदस्य राजेश गुप्ता करावन ने बताया कि, ये परिवार बेहद ही गरीब है और वे छोटी सी दुकान से गुजारा कर रहे थे. ऐसे में जब पता चला की इनका बच्चा बोल और सुन नहीं सकता और बचपन से ही उसे ये समस्या है तो डॉक्टरों को दिखाया. वहां पता चला कि इसका उपचार बड़े सेंटर पर होगा तो वे 5 साल के बालक जतिन को लेकर जयपुर गए. वहां करीब 10 लाख का इस्टीमेट बनाया गया, लेकिन परिवार सक्षम नहीं था तो मायूस होकर वापस झालावाड़ आ गया. 


राजेश गुप्ता ने आगे बताया कि, उसके बाद बालक को सरकारी योजना में कवर करने के लिए जिला कलेक्टर से मिले, लेकिन वहां भी ना तो आंगनबाडी की मदद से ऑपरेशन हुआ और ना ही चिरंजीवी में इस बालक का ऑपरेशन हुआ. इसके बाद जिला कलेक्टर व राजेश गुप्ता के प्रयास से केन्द्र सरकार की आरबीएसके योजना में इसका ऑपरेशन कराने की स्वीकृति मिली और इसका सफल ऑपेशन किया गया. ऐसे सैकडों बच्चे हैं जो सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. अगर नियमों का सरलीकरण हो तो सैकडों बच्चे लाभांवित हो सकते हैं.


अब सुन सकेगा आवाज
जिले के 5 वर्षीय बालक जतिन को नई जिंदगी तो मिल गई, लेकिन उसके लिए कई लोगों के प्रयास सामने आए हैं. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत हुए जटिल ऑपरेशन के बाद जतिन अब अपने माता पिता की आवाज तो सुन ही सकेगा, वह ठीक से पढाई भी कर सकेगा. बकानी के रहने वाले राकेश प्रजापत के परिवार में जतिन घर का एक मात्र चिराग है जो जन्म से ही बोलने व सुनने में असमर्थ था. परिवार के लोग जतिन की जन्मजात बीमारी को लेकर बहुत परेशान थे और काफी इलाज करवाने के बाद जब डॉक्टरों ने बहुत ही महंगे ऑपरेशन के लिए सलाह दी तो महंगे इलाज की असमर्थता ने उन्हें तोड़ दिया. 


8 लाख का आया खर्च
भीलवाडा में जतिन का ऑपरेशन करने वाले डॉ. राजेश जैन ने बताया कि एक आंकड़े के मुताबिक 1000 डिलवरी पर 2 बच्चे इस तरह के रोग से ग्रसित होते हैं. मतलब 0.2 प्रतिशत बच्चों में इस तरह की बीमारी होने की सम्भावनएं रहती हैं. जन्म से ही बच्चों में होने वाली कंजेनाइटल डेफ को प्राथमिकता में लेते हुए जागरूकता के प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी स्वस्थ पैदा हो. इस ऑपरेशन में 8 लाख का खर्च आया है.  


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