14 अक्टूबर को जैसलमेर में आग का गोला बनी प्राइवेट एसी स्लीपर बस के मालिक और ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया. बस मालिक तुराब अली और ड्राइवर शौकत को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. हादसे में मरने वालों की संख्या 22 हो चुकी है. मामले में जांच के लिए कई कमेटियां गठित की गई हैं. जैसलमेर के एसपी अभिषेक शिवहरे ने एसआईटी का गठन किया है. 

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पांच सदस्यीय एसआईटी में ASP कैलाश दान, सीओ सिटी रूप सिंह, नाचना थाने के SHO बूटाराम, सदर थाने के प्रभारी सुरजा राम और ASI राजेंद्र कुमार SIT में शामिल हैं. इसके अलावा राजस्थान सरकार ने जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. परिवहन विभाग की यह कमेटी तकनीकी पहलुओं की जांच करेगी.


कमेटी अपर परिवहन आयुक्त (प्रशासन) ओम प्रकाश बुनकर की अध्यक्षता में गठित की गई है. इसमें परिवहन विभाग के दो अधिकारी एवं राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के दो अभियंता शामिल हैं


कमेटी में ओमप्रकाश बुनकर(अपर परिवहन आयुक्त, प्रशा. एवं संयुक्त शासन सचिव),  धर्मेन्द्र कुमार (प्रादेशिक परिवहन अधिकारी-द्वितीय), रवि सोनी(कार्यकारी निदेशक, यांत्रिकी, राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम) और हनुमान सिंह(संयुक्त महाप्रबन्धक, सेन्ट्रल वर्कशॉप, जोधपुर) और नवनीत बाटड़(मोटर वाहन निरीक्षक, मुख्यालय) शामिल है।


यह टीम आज (16 अक्टूबर) रात से ही अपनी जांच शुरू करेगी. राज्य सरकार ने इसके साथ ही स्वतंत्र संस्था CIRT पुणे को भी जांच सौंपी है. स्वतंत्र संस्था सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट (CIRT) पुणे को इस घटना की तकनीकी जांच के लिए कहा गया है।


CIRT की टीम संभवतः आगामी शनिवार एवं रविवार को जैसलमेर का दौरा करेगी तथा अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगी. इस बीच घटना के बाद से प्रदेशव्यापी विशेष निरीक्षण अभियान जारी है. अब तक 53 बसें जब्त की गई हैं. लेकिन सवाल यह है कि यह चेकिंग पहले क्यों नहीं की गई. अगर सरकारी अमला अपनी जिम्मेदारी को पहले ही ठीक से निभाता तो शायद 22 लोगों की जान न जाती.