देश में इन दिनों स्ट्रीट डॉग्स यानी सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों को लेकर बहस छिड़ी है. राजस्थान की राजधानी जयपुर में तकरीबन एक लाख की संख्या में स्ट्रीट डॉग्स हैं, जबकि सरकारी तौर पर सिर्फ ढाई सौ की क्षमता वाला एक ही डॉग केयर सेंटर है. यह भी बदहाली और लापरवाही का शिकार बना हुआ है. ऐसे में अदालतों का फरमान आने वाले दिनों में सरकारों के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है. जयपुर ग्रेटर की मेयर ने कहा है कि डॉग केयर सेंटर का निरीक्षण कर वहां की कमियों को ठीक कराया जाएगा.

अनुमान के मुताबिक राजस्थान में आठ लाख स्ट्रीट डॉग्स हैं, जबकि सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले पांच सालों में राज्य में आवारा कुत्तों ने पैंतीस हजार से ज्यादा लोगों को अपना निशाना बनाया है. सुप्रीम कोर्ट से लेकर राजस्थान हाईकोर्ट तक इन्हें आबादी के बीच से हटाकर कहीं शिफ्ट किए जाने के बारे में सरकारों को कह चुका है, लेकिन प्रदेश सरकार के पास इन्हें शिफ्ट किए जाने की फिलहाल कोई बेहतर व्यवस्था नहीं है.

जयपुर में इकलौता डॉग केयर सेंटर बदहाल!

पिंक सिटी जयपुर का इकलौता डॉग केयर सेंटर शहर में आबादी के बीच जय सिंह पुरा खोर इलाके में है. यहां स्ट्रीट डॉग्स को स्थाई तौर पर रखे जाने की कोई व्यवस्था नहीं है. ढाई सौ कुत्तों की क्षमता वाले इस सेंटर में रोजाना पचीस से तीस कुत्ते लाए जाते हैं. यहां उनकी नसबंदी की जाती है और तीसरे दिन उन्हीं जगहों पर छोड़ दिया जाता है, जहां से उन्हें लाया जाता है. 

छत से टपकता है पानी, साफ सफाई भी नहीं

यह सेंटर एक एनजीओ के भरोसे चलाया जा रहा है. यहां सारे कर्मचारी एनजीओ के हैं. नगर निगम के पशुधन विभाग के डॉक्टर्स और कर्मचारियों को यहां रोजाना सुबह-शाम विजिट करना चाहिए, लेकिन आम तौर पर ऐसा बहुत कम ही होता है. इस डॉग केयर सेंटर में कुत्तों को रखे जाने के लिए अलग-अलग बाड़े बनाए गए हैं. बाहर के तीन बाड़ों में कूलर लगाए गए हैं, जबकि अंदर के कई बाड़े में पंखे तक नहीं चलते. दीवारों और छतों का प्लास्टर उखड़ा हुआ है. छत से पानी टपकता रहता है और साथ ही साफ सफाई की कमी साफ नजर आती है. 

कुत्तों को खाना और पानी सिर्फ सुबह और शाम दिया जाता है. एनजीओ के जरिए काम करने वाले कर्मचारियों को यहां 10 से 12 हज़ार रुपए वेतन दिया जाता है, ऐसे में समझा जा सकता है कि वह कितने मनोयोग से काम करते होंगे. कुल मिलाकर यहां की व्यवस्थाओं को औसत दर्जे का करार दिया जा सकता है. 

जयपुर ग्रेटर की मेयर ने क्या कहा?

इस बारे में जयपुर ग्रेटर की मेयर डॉक्टर सौम्या गुर्जर ने कहा, ''मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के मुताबिक ही काम किया जा रहा है. बच्चों और बुजुर्गों को काटने और परेशान करने के तमाम मामले सामने आने के बाद स्ट्रीट डॉग्स के बर्थ कंट्रोल को लेकर बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है. हर महीने तकरीबन एक हजार कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी की जा रही है.'' 

डॉग केयर सेंटर की कमियों को ठीक कराएंगे- मेयर

उनके मुताबिक फिलहाल इन्हें स्थाई तौर पर शिफ्ट किए जाने की कोई योजना नहीं है. इकलौते डॉग केयर सेंटर का वह खुद निरीक्षण करेंगी और वहां की कमियों को ठीक कराएंगी. मेयर डा० सौम्या गुर्जर ने आगे कहा, ''अगर अदालत का कोई साफ आदेश आता है तो उसे बारे में योजना बनाकर चरणबद्ध तरीके से काम किया जाएगा और आदेश का पालन कराया जाएगा.'' 

कुत्तों के आतंक पर कोर्ट गंभीर- एमिकस क्यूरी

राजस्थान में स्ट्रीट डॉग्स के मामले हाईकोर्ट की प्रधान पीठ जोधपुर और इसकी बेंच जयपुर दोनों में ही चल रहे हैं. दोनों ही जगहों से दिशा निर्देश जारी करते हुए सरकार से जवाब तलब किया गया है. स्ट्रीट डॉग्स मामले में हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई में एमिकस क्यूरी प्रतीक कासलीवाल ने कहा, ''कुत्तों के आतंक और उनके द्वारा लोगों को निशाना बनाए जाने की घटना को लेकर अदालत बेहद गंभीर है.''

उनके मुताबिक अदालत ने इस मामले में सुओ मोटो लिया था और नियमित तौर पर सुनवाई कर रही है. एडवोकेट प्रतीक कासलीवाल का कहना है कि वह हर सुनवाई में अदालत को अपनी तरफ से सुझाव देते रहते हैं.

राजस्थान में डॉग बाइट्स के केस

         साल        केस

  • 2021 - 6741
  • 2022-  7243
  • 2023 - 7874
  • 2024 - 8807
  • 2025 - 7128 (जुलाई तक)

अनुमान के मुताबिक राजस्थान में तकरीबन आठ लाख और अकेले जयपुर में एक लाख स्ट्रीट डॉग्स हैं.