पिंक सिटी जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में लगी आग से कई मरीजों की मौत के बाद पूरे राजस्थान में हड़कंप मचा हुआ है. इस घटना को लेकर अब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर का बयान सामने आया है, जो एक बार फिर विवादों में आ गया है.

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मंत्री खींवसर ने कहा कि 24 या 48 घंटे में कोई जांच पूरी नहीं होती. उनके इस बयान पर अब कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सरकार इस बड़ी लापरवाही को लेकर कितनी गंभीर है.


मंत्री ने अपने विभाग की पीठ थपथपाई


मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री ने कहा कि ट्रॉमा सेंटर में कुल 285 बेड हैं और हादसे के वक्त हमारे स्टाफ ने आईसीयू के दो वार्ड खाली करवाए. उन्होंने बताया कि आईसीयू में भर्ती 22 मरीजों में से सिर्फ वे ही नहीं बच सके जो वेंटिलेटर पर थे, क्योंकि उन्हें तुरंत कहीं और शिफ्ट करना संभव नहीं था.


मंत्री ने दावा किया कि सिर्फ वही मरीज आग में झुलसे हैं जो लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे. बाकी सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया.


इस बयान के बाद मंत्री पर विपक्ष और आम जनता दोनों ने सवाल उठाए हैं कि अगर सुरक्षा इंतज़ाम सही थे तो आग लगी कैसे, और इतनी बड़ी घटना के बाद मंत्री खुद अपने विभाग की तारीफ क्यों कर रहे हैं.


अब अस्पतालों की सुरक्षा जांच करेगी CISF


खींवसर ने बताया कि अब सरकारी अस्पतालों की सेफ्टी, सिक्योरिटी और फायर अरेंजमेंट की जांच का जिम्मा CISF (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) को दिया गया है. उन्होंने कहा कि जैसे सीआईएसएफ एयरपोर्ट पर व्यवस्थाओं की निगरानी करती है, वैसे ही अब राजस्थान के अस्पतालों में भी करेगी.


सबसे पहले राजधानी जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अधीन आने वाले 14 अस्पतालों की सुरक्षा जांच शुरू की गई है. मंत्री के मुताबिक, इन अस्पतालों की शुरुआती जांच रिपोर्ट एक-दो दिन में आने की संभावना है. इसके बाद राज्य के बाकी अस्पतालों में भी यही व्यवस्था लागू की जाएगी.


मीडिया के सवालों से बचते नजर आए मंत्री


खींवसर जयपुर में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे, जहां मीडिया ने उनसे हादसे और जिम्मेदारों पर कार्रवाई को लेकर कई सवाल पूछे. लेकिन मंत्री अधिकतर सवालों से बचते हुए नजर आए. उन्होंने कहा, “जांच चल रही है, रिपोर्ट आने के बाद ही कार्रवाई होगी.”


जनता में नाराजगी, जांच रिपोर्ट का इंतजार


एसएमएस ट्रॉमा सेंटर की आग में कई जिंदगियां जाने से शहर में शोक और गुस्से का माहौल है. लोग सवाल कर रहे हैं कि अगर अस्पतालों में सुरक्षा इंतज़ाम पुख्ता थे तो ऐसी त्रासदी कैसे हुई.


फिलहाल सरकार ने CISF की जांच रिपोर्ट का इंतजार करने की बात कही है, लेकिन जनभावना यह है कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिले और भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों.