जयपुर SMS अस्पताल में 8 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन? सरकार ने बनाई जांच कमेटी, अशोक गहलोत ने जताई चिंता
SMS Hospital Fire: जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के आईसीयू वार्ड में आग लगने से 8 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई. भजनलाल शर्मा सरकार ने घटना की जांच के लिए कमेटी गठित की है.

राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल सवाई मानसिंह में आग की घटना ने हड़कंप मचा दिया. अस्पताल के आईसीयू वार्ड में लगी आग में 8 लोगों की मौत हो गई है. शुरुआती जानकारी में 6 मरीजों के मरने की खबर मिली थी, लेकिन बाद में मौत का आंकड़ा बढ़कर 8 हो गया.
सवाल उठता है कि इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है? इस मामले में अब भजनलाल शर्मा सरकार ने जांच कमेटी गठित की है, जो पता लगाएगी कि आग कैसे लगी और 8 लोगों की मौत की जिम्मेदारी किसकी है?
इकबाल खान के नेतृत्व में कमेटी करेगी जांच
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सरकार की ओर से आदेश जारी करते हुए कहा गया है कि ने घटना में जांच के लिए एक समिति बनाई गई है. समिति की अध्यक्षता चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त इकबाल खान करेंगे. यह समिति आग के कारणों, अस्पताल प्रबंधन की प्रतिक्रिया, ट्रॉमा सेंटर और एसएमएस अस्पताल में अग्निशमन व्यवस्था, आग लगने की स्थिति में मरीजों की सुरक्षा और निकासी और भविष्य में ऐसी आग की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए अस्पताल को सुरक्षित रखने के उपायों की जाँच करेगी और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.
अशोक गहलोत ने जताई चिंता
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता अशोक गहलोत ने एसएमएस अस्पताल में आग लगने से 8 लोगों की मौत पर दुख व्यक्त किया है. उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा, "SMS अस्पताल के ट्रोमा सेंटर के ICU में आग लगने से 8 लोगों की मृत्यु बहुत दुखी करने वाली है. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि इस हादसे में कम से कम जनहानि हो. प्रभु दिवंगत आत्माओं को अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं घायलों को शीघ्र स्वस्थ करें. राज्य सरकार इस घटना की उच्च स्तरीय जांच करवाकर यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में कहीं भी ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति न हो सके.
मरने वाले मरीज के परिजन ने क्या बताया
25 वर्षीय पिंटू नाम के एक मरीज की भी इस हादसे में मौत हुई है. उसके रिश्तेदार ने बताया कि रविवार रात 11.20 बजे के करीब जब आईसीयू में धुआं उठता दिखा, तो उन्होंने डॉक्टर्स को इस बात की जानकारी दी और कहा कि मरीजों को तकलीफ हो सकती है. समय के साथ यह धुआं बढ़ता चला गया.
चश्मदीद ने आरोप लगाया कि धुआं बढ़ने पर डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ नीचे कंपाउंड में चले गए और मरीजों को छोड़ दिया. इसके बाद धुआं इतना बढ़ गया कि मरीजों को वहां से हटाना मुश्किल हो गया. फिर भी किसी तरह लोगों ने मिलकर 4-5 पेशंट्स को बाहर निकाला. इनमें से एक पिंटू भी था, जिसकी जान नहीं बचाई जा सकी.
पिंटू की हालत अब ठीक हो गई थी और उसे एक-दो दिन के अंदर डिस्चार्ज किया जाना था, लेकिन अग्नि हादसे में उसकी मौत हो गई.
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Source: IOCL
























