(Source: ECI | ABP NEWS)
चश्मदीदों की आंखों देखी: SMS अस्पताल का ICU वार्ड बना श्मशान! परिजनों की चीखें गूंजीं, खत्म हो गई 8 जिंदगियां
SMS Hospital Fire: जयपुर के SMS अस्पताल में न्यूरो आईसीयू वार्ड में भीषण आग लगने से चीख पुकार मच गई और 8 मरीजों की मौत हो गई. परिजनों ने धुआं देखने की सूचना दी थी लेकिन समय रहते कदम नहीं उठाए गए.

जयपुर के SMS अस्पताल में 5 अक्तूबर की रात चीख पुकार का वह मंजर अब भी आंखों के सामने नजर आता है जब परिजन भीषण आग के बीच अपनों को पुकार रहे थे. SMS अस्पताल के न्यूरो ICU वार्ड में देर रात लगी आग इतनी भीषण थी कि जो मशीने जान बचा रही थीं वह खुद पिघलने लगीं और अचानक वार्ड में जहरीली गैस और धुआं फैल गया जिससे किसी को संभलने तक का मौका नहीं मिला और उसी आग के आगोश में 8 जानें चली गईं.
SMS अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के सेकंड फ्लोर पर मौजूद न्यूरो ICU वार्ड की घटना है. रात करीब 11 बजे के आसपास मरीज के परिजनों ने अस्पताल के स्टाफ को धुआं उठने की जानकारी दी. लेकिन मेडिकल स्टाफ ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया और कुछ देर बाद ही धुएं ने भीषण आग का रूप ले लिया. भरतपुर के रहने वाले मरीज के परिजन ने लड़खड़ाई आवाज में इस घटना का जिक्र किया. वे ठीक से बोल नहीं पा रहे थे. कांपती हुई आवाज में बोले- 'हर तरफ चीख पुकार थी. हम खुद अपनी मां को बाहर निकाल कर लाए और हमारे जैसे और भी बहुत लोग थे.'
अस्पताल में हर तरफ चीख-पुकार
घटना के वक्त मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि किसी को संभलने का मौका नहीं मिला. हर तरफ चीख-पुकार सुनाई दे रही थी, मरीज के तिमारदार इधर-उधर भागते दिखाई दे रहे थे. आईसीयू वार्ड से मरीजों को निकालने के लिए शीशे तोड़ने पड़े. कुछ के परिजन वार्ड के बाहर मौजूद थे तो वो अपने मरीज को कंधे पर लेकर बाहर की ओर भागे. किसी को स्ट्रेचर मिला और किसी को नहीं. कैसे जैसे मरीजों को बाहर निकाला गया, वार्ड में उस समय कुल 13 मरीज बताए जा रहे हैं. जिनमें से अब तक आठ लोगों की मौत हो चुकी है.
वहां मौजूद लोगों से बात करने पर सामने आया कि करीब 40 मिनट में 125 मरीजों को उस दौरान हादसे वाली जगह से बाहर निकाला गया. क्योंकि जिस वार्ड में आग लगी थी उस फ्लोर पर और भी मरीज अलग-अलग वार्ड में भर्ती थे जिन्हें वहां से दूसरी जगह शिफ्ट किया गया.
फायरकर्मी उस रात का खौफनाक मंजर बयां करते हैं- सूचना के बाद हमारी टीम मौके पर पहुंची. हर तरफ आग की लपटें और धुंआ दिखाई दे रहा था. अंदर जाना नामुमकिन था. कैसे जैसे कांच तोड़कर पानी की बौछारें आग पर डाली गईं. आग पर काबू पाने में 1 घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया. तब तक कई मरीज जान गंवा चुके थे.
नामुमकिन था आग पर काबू पाना
नोडल अधिकारी डॉ. अनुराग धाकड़ ने बताया कि हमारे पास अपने अग्निशमन उपकरण थे. हमने कोशिश की, लेकिन आग इतनी तेजी से फैली कि स्टाफ के लिए अंदर रहना नामुमकिन था. बड़ी मुश्किल से स्टाफ और पुलिस ने मरीजों को बाहर निकाला.
हालांकि अब तक आग लगने के कारणों की पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन प्रथमदृष्ट्या शॉर्ट सर्किट ही आग का कारण बताया जा रहा है. आग लगने के बाद भगदड़ मच गई. अब सभी मरीजों को दूसरे वार्डों में और आईसीयू में शिफ्ट किया गया है.
सवाल वही है- 'क्या समय रहते अगर ध्यान दिया जाता तो हादसे को टाला जा सकता था? मरीजों के परिजनों ने स्टाफ को बताया भी था, धुएं की जानकारी भी दी थी. लेकिन उसके बावजूद अपने परिजनों को खोने का दुख उनकी चीख में साफ सुनाई दे रहा है.'
घटना के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा देर रात एसएमएस अस्पताल पहुंचे. हादसे पर गहरी संवेदना जताई. वहीं मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद चिकित्सा विभाग आयुक्त इकबाल खान की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है, जो कि इस घटना की जांच कर जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.
Source: IOCL

























