नवरात्र के मौके पर दुर्गा पूजा पंडालों के साथ ही गरबा व डांडिया के कार्यक्रमों में गैर हिंदुओं की एंट्री बैन किए जाने और मांस मछली की दुकानों पर पूरी तरह से पाबंदी लगाए जाने की मांग के विवाद से जुड़े मामले में विश्व हिंदू परिषद ने सधी हुई प्रतिक्रिया जताई है. जयपुर में VHP के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमितोष परीक का कहना है कि धर्म के आधार पर किसी की भी एंट्री कहीं रोकी नहीं जा रही है और ना ही उनका संगठन इस तरह की मांग का समर्थन करता है.
अमितोष परीक के मुताबिक यह जरूर है कि कोई भी अपनी पहचान छिपा कर पंडालों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल न हो. गलत इरादों से नवरात्रि से जुड़े आयोजनों के बीच कतई न जाए. किसी भी जगह अगर कोई पहचान पत्र दिखाने को कहता है तो उसे दिखाए. बेहतर होगा कि अपने परिवार के साथ ही इन कार्यक्रमों में शामिल हो.
उन्होंने कहा कि अगर कोई नेक नीयती के साथ अपने परिवार को लेकर इन आयोजनों में शामिल होता है और उसमें सहभागिता निभाने में दिलचस्पी दिखाता है तो उसमें कोई एतराज नहीं है, लेकिन दूसरे धर्म के लोग अगर अपनी पहचान छिपा कर वहां बहन बेटियों पर गलत निगाह डालने के लिए जाएंगे तो उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
'ऐसे लोगों को नहीं होना चाहिए हिंदुओं की आस्था से जुड़े कार्यक्रम में'
प्रवक्ता अमितोष परीक का कहना है कि हालांकि जो लोग हिंदुओं को काफिर समझते हैं, उनका मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं है और वह धार्मिक आधार पर हमारे धर्म के बारे में गलत सोच रखते हैं, ऐसे लोगों को हिंदुओं की आस्था से जुड़े कार्यक्रम में शामिल ही नहीं होना चाहिए. अविश्वास और एतराज के साथ ऐसे आयोजनों में जाना विवाद का सबब हो सकता है.
स्थानीय निकायों के आदेश का करना चाहिए सम्मान
VHP प्रवक्ता अमितोष परीक ने मांस मछली की दुकानों को नवरात्र में पूरी तरह बंद किए जाने की मांग पर अपनी सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि अलग-अलग जगह पर स्थानीय निकायों के जो भी आदेश जारी हो, सबको उसका सम्मान करना चाहिए. हालांकि उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर देश के कई हाईकोर्ट ने इस बारे में कहा है कि अगर 9 दिनों तक मांस मछली की दुकान बंद किए जाने को कहा जाता है तो इससे किसी के मौलिक अधिकारों का कोई हनन नहीं होता है.
'सभी को पहल करना चाहिए पहल'
उनके मुताबिक मांस मछली से अगर नवरात्र के दिनों में बहुत संख्यक लोगों को दिक्कत होती है तो दुकानों को अपनी इच्छा से ही बंद कर देना चाहिए. इस बारे में कतई विवाद नहीं पैदा करना चाहिए और ना ही इसे धार्मिक प्रतिष्ठा का सवाल बनाना चाहिए. देश में बहुसंख्यक लोगों की भावनाओं का भी सम्मान हो इस बारे में सभी को पहल करना चाहिए.
उनका कहना है कि विश्व हिंदू परिषद इस बारे में दुकानों को पूरी तरह बंद रखे जाने या खोले जाने के मामले में सीधे तौर पर कुछ भी नहीं कहना चाहता. VHP का मानना है कि स्थानीय प्रशासन जो भी तय करें, हर कोई उसका सम्मान करे. बहुसंख्यक लोगों की भावनाओं का सम्मान हो, इसके लिए हर कोई अपना सहयोग दे तो बेहतर होगा.