राजस्थान में मंगलवार (28 अक्टूबर) को जयपुर बस आग हादसे में बस ड्राइवर और कंडक्टर की बड़ी लापरवाही सामने आई है. बेहद संकरे, कच्चे और गड्ढे वाले रास्ते पर हिचकोले खाने और यात्रियों के मना करने के बावजूद ड्राइवर और कंडक्टर जबरदस्ती बस को आगे ले जा रहे थे. हाई टेंशन तार की चपेट में आने के बाद बस में जैसे ही आग लगी, ड्राइवर और कंडक्टर कूद कर भाग निकले. उन्होंने किसी यात्री को बचाने कोई कोशिश नहीं की.

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दरअसल, जयपुर शहर से तकरीबन 75 किलोमीटर दूर दिल्ली हाईवे पर मनोहरपुर टोल प्लाजा से कुछ दूरी पर हाई टेंशन बस की चपेट में आने से प्राइवेट स्लीपर बस जलकर राख हो गई थी. बस में सवार तीन यात्रियों की मौत हो गई, जबकि दर्जन भर से ज्यादा मुसाफिर गंभीर रूप से झुलस गए हैं. घायलों को इलाज के लिए अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जहां कुछ की हालत नाजुक बताई जा रही है.

पीलीभीत के रहने वाले थे यात्री

प्राइवेट स्लीपर बस में सवार सभी सत्तर यात्री यूपी के पीलीभीत जिले की पूरनपुर तहसील के अलग-अलग गांव के रहने वाले हैं. सभी यहां पर एक ईंट भट्टे पर मजदूरी करने के लिए आ रहे थे. हादसे में बस में सवार जो यात्री सुरक्षित हैं, उनके सारे सामान जलकर राख हो चुके हैं. महिलाओं के दुपट्टे और चुनरी तक जल गई है और उन्हें उधर के कपड़ों से तन ढकना पड़ा है. जान बचने के बावजूद पीड़ितों की आंख के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.

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बस में नहीं थी इमरजेंसी एग्जिट

जैसलमेर की तरह इस बस में भी पीछे की तरफ कोई एग्जिट गेट नहीं था. कोई इमरजेंसी एग्जिट की विंडो नहीं थी. आग बुझाने के कोई उपकरण नहीं थे. ईंट भट्टे पर मजदूरी के लिए आ रहे मजदूर परिवार की महिलाओं और बच्चों के साथ यहां आ रहे थे. 

उन्हें भट्टे पर अगले साल बारिश शुरू होने से पहले तक रहना था, लिहाजा वह बाइक, साइकिल, गैस सिलेंडर के साथ ही राशन, कपड़े समेत पूरी गृहस्थी ही बस की छत पर रखकर ला रहे थे. बस की छत पर रखा सामान ही हाई टेंशन तार की चपेट में आया था.

36 यात्री की क्षमता वाली बस में बैठे 70 यात्री

बस में रखा एक-एक सामान जलकर राख हो चुका है. आग की चपेट में आने के बाद कुछ गैस सिलेंडर में ब्लास्ट भी हुआ. सिलेंडर ब्लास्ट के बाद आग और तेजी से फैली. यह हादसा मंजिल पर पहुंचने यानी ईंट भट्टे से सिर्फ 300 मीटर पहले हुआ. इस प्राइवेट स्लीपर बस में 36 यात्री ही बैठ सकते थे, लेकिन इसमें 70 के करीब सवारियां बैठी हुई थी. यानी क्षमता से दो गुना ज्यादा सवारियां इसमें बिठाई गई थी. 

डिप्टी सीएम बैरवा ने दिए जांच के आदेश

बस में आग लगने के बाद तमाम यात्रियों ने बस के शीशे तोड़ने के बाद उसमें से कूद कर अपनी जान बचाई. इसमें भी तमाम लोगों को चोट आई है. डिप्टी सीएम और परिवहन विभाग के मंत्री प्रेमचंद बैरवा ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने नियमों के खिलाफ संचालित हो रहीं प्राइवेट बसों पर शिकंजा कसे जाने की बात कही है, लेकिन ऐसी ही बयानबाजी उन्होंने दो हफ्ते पहले जैसलमेर हादसे के बाद भी की थी. 

कब कसा जाएगा शिकंजा

वहीं सीएम भजनलाल शर्मा ने हादसे पर दुख जताते हुए झुलसे हुए लोगों के समुचित इलाज के निर्देश दिए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी घटना पर दुख जताया है. सवाल यह है कि लगातार हो रहे हादसों के बावजूद सड़कों पर कानून की धज्जियां उड़ा कर दौड़ रही प्राइवेट बसों पर सरकार शिकंजा कब कसेगी.