देश में ड्रोन के जरिए सीमित जगह पर कृत्रिम बारिश, यानी आर्टिफिशियल रेन कराने का परीक्षण आज फेल हो गया. रेगिस्तान की धरती, राजस्थान की राजधानी जयपुर में आज देश का पहला परीक्षण होना था. तमाम प्रोपेगेंडा किए जाने के बीच, परीक्षण का कार्यक्रम पूरी तरह फ्लॉप शो साबित हुआ.
राजस्थान सरकार का कृषि विभाग यह परीक्षण करा रहा था. तकरीबन तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बावजूद, ड्रोन उड़ान नहीं भर सका. 3 घंटे बाद ड्रोन ने उड़ान भरी, तो वह सिर्फ 10 फीट की ऊंचाई तक, पचास मीटर आगे ही जा सका. इसके बाद ड्रोन बेकाबू होकर सूखे ताल में गिर गया.
50 हजार की तादाद में लोग थे मौजूद
हालांकि, ड्रोन के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक से कृत्रिम बारिश का नजारा देखने के लिए जयपुर में रामगढ़ ताल के 50 हजारों की तादाद में लोग मौजूद थे. रामगढ़ ताल के पास, जिस जगह ड्रोन से कृत्रिम बारिश कराई जानी थी, वहां 25 से 30 हजार लोग मौजूद थे.
भीड़ इतनी ज्यादा हो गई थी कि कहीं भी तिल रखने की जगह नहीं बची. पुलिस और प्रशासन के सभी इंतजाम नाकाफी साबित हुए. कृत्रिम बारिश का इंतजार कर रही भीड़ बेकाबू होने लगी, तो पुलिस को लाठियां चलानी पड़ीं. पुलिस ने कई बार लाठियां पटकी और हल्का बल प्रयोग किया. इससे नाराज लोगों ने वहां लगे पोस्टरों को फाड़ दिया.
पार्ट्स को अपने साथ उठा ले जाना चाहते थे लोग
परीक्षण में देरी होने और बाद में ड्रोन के बंद होने पर लोगों ने जमकर हूटिंग भी की. भारी भीड़ की वजह से परीक्षण स्थल पर खासी अव्यवस्था नजर आई. ताल में जिस जगह ड्रोन बंद होकर गिरा, वहां बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए थे. लोग इसके पार्ट्स को अपने साथ उठा ले जाना चाहते थे.
हालांकि, पुलिस और परीक्षण करने वाली कंपनी के प्रतिनिधियों ने तुरंत वहां पहुंचकर ड्रोन को अपने कब्जे में लिया. बेंगलुरु की कंपनी जेनेक्स, अमेरिका के सहयोग से यहां कृत्रिम बारिश कराए जाने की तैयारी में थी. लगातार 60 दिनों तक ड्रोन के जरिए बारिश कराकर रामगढ़ ताल को भरने की योजना तैयार की गई थी.
ड्रोन और AI तकनीक से देश में पहली बार परीक्षण
देश में इससे पहले, जहां भी कृत्रिम बारिश कराई गई, वह सभी प्लेन से बादलों पर केमिकल का छिड़काव कराकर की जाती थी. ड्रोन के जरिए भी कुछ जगहों पर आर्टिफिशियल रेन कराई गई थी, लेकिन वह बड़े इलाकों में होती थी.
सीमित इलाके में ड्रोन और AI तकनीक से देश में पहली बार आर्टिफिशियल रेन का परीक्षण होना था, लेकिन यह परीक्षण बदइंतजामी और अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गया. कंपनी के लोगों का दावा है कि भारी भीड़ की वजह से पैदा हुई अव्यवस्था और सिग्नल में दिक्कत के चलते परीक्षण सफल नहीं हो सका.
विधायक व VIP अपने परिवार संग इस परीक्षण को देखने आए
परीक्षण फ्लॉप और टांय-टांय फुस्स होने से वहां मौजूद लोग मायूस होकर वापस लौटे. जयपुर में तापमान काफी ज्यादा था और जबरदस्त उमस थी. उमस भरी गर्मी में लोग परेशान हो गए.
राजस्थान सरकार का कृषि विभाग कृत्रिम बारिश के परीक्षण का आयोजन करा रहा था. राज्य के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा खुद परीक्षण स्थल पर मौजूद थे. कई विधायक व दूसरे VIP अपने परिवार संग इस परीक्षण को देखने के लिए आए हुए थे.
सरकार नए सिरे से परीक्षण की योजना तैयार करेगी
कृषि मंत्री ने इस मौके पर बयानबाजी की थी कि रामगढ़ ताल को कृत्रिम बारिश के जरिए भरे जाने का प्रयोग सफल होने पर राज्य में तमाम दूसरी जगह पर भी आर्टिफिशियल रेन कराई जाएगी. परीक्षण से पहले बाकायदा वैदिक ब्राह्मणों से पूजा-अर्चना भी कराई गई थी. सरकार अब जल्द ही नए सिरे से परीक्षण की योजना तैयार करेगी.
कृषि मंत्रालय और स्थानीय विधायक समेत तमाम जनप्रतिनिधियों ने लोगों से परीक्षण स्थल पर आकर इसे देखने की अपील भी जारी की थी. पतला पहाड़ी रास्ता होने के बावजूद न तो वाहनों को पार्क करने का कोई इंतज़ाम था और न ही भीड़ को नियंत्रित करने का.