उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे के बाद जगदीप धनखड़ के सियासी सफर की चर्चा हो रही है. 21 जुलाई 2025 को जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 11 अगस्त 2022 को धनखड़ देश के 14वें उपराष्ट्रपति बने थे. अपने सियासी करियर की शुरुआत जगदीप धनखड़ ने सांसद से शुरू की. जनता दल के टिकट पर वो सांसद बने. इसके बाद कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने. 1958 वोटों के अंतर से उन्होंने विधायक का चुनाव जीता.

विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराया था

1993 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में जगदीप धनखड़ कांग्रेस के टिकट पर किशनगढ़ सीट विधायक का चुनाव जीते. उन्हें विधानसभा चुनाव में 41444 वोट मिले थे. वोट शेयर की बात करें तो उन्हें 44.81 फीसदी वोट मिले थे. धनखड़ ने बीजेपी उम्मीदवार जगजीत सिंह को हराया था. जगजीत सिंह 39486 वोट मिले थे और उनका वोट शेयर 42.69 फीसदी था. इस सीट पर कुल 11 उम्मीदवार थे.

 

1993: किशनगढ़ विधानसभा सीट के नतीजे

1989 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हराया

1989 में झुंझुनू लोकसभा सीट से जगदीप धनखड़ जनता दल के टिकट पर मैदान में उतरे थे. यहीं से जीतकर उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. इस सीट पर कुल 15 उम्मीदवार थे. जगदीप धनखड़ को 421686 वोट मिले थे और वोट शेयर 58.73 फीसदी था. उन्होंने कांग्रेस के मोहम्मद अयूब खान को हराया था.अयूब खान को 259705 वोट मिले थे और उनका वोट शेयर 36.17 फीसदी था. जगदीप धनखड़ 1 लाख 61 हजार 981 वोटों के अंतर से वो विजेता बने. साल 2003 में वो बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्हें पार्टी के कानूनी विभाग का प्रमुख बनाया गया. 

2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे

जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. लेकिन विपक्षी दल के नेता इसके पीछ 'कुछ और' वजह होने का दावा कर रहे हैं. उनके इस्तीफे पर राजनीति बयानबाजी की बाढ़ आ गई है. उपराष्ट्रपति बनने से पहले धनखड़ 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे.