Kota News: कौन कहता है आसमां में छेद नहीं होता एक पत्थर तबीयत से उछालों यारों. इस कहावत को एक मजदूर के बेटे ने चरित्रार्थ कर दिया है. छोटे से गांव के एक मजदूर के बेटा अब आईआईटीयन बनने जा रहा है. उसने जेईई मेन में 91 पर्सेन्टाइल, एडवांस्ड में ऑल इंडिया रैंक 924 हांसिल की है. अब परिवार में खुशियां आ रही है.  परिवार के हर सक्ष के चेहरे पर मुस्कान है. मध्य प्रदेश के सागर जिले के छोटे से गांव बिचपुरी का कृष्णकांत साहू गांव का पहला आईआईटीयन बनेगा.

कृष्णकांत ने परिवार की कठिन परिस्थितियों के बीच देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक जेईई-एडवांस्ड क्रेक की है. बड़ी बात यह है कि इस सफलता के लिए परिजनों ने जी-तोड़ मेहनत कर दिनभर पसीना बहाया है. कृष्णकांत के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और कच्चे मकान में रहकर ही जीवन यापन करते हैं. हाल यह है कि कभी मजदूरी मिल गई तो ठीक वरना बच्चों का पेट भरना तक मुश्किल हो जाता है.

पिता को लग रहा है कि मेहनत का फल मिल गयाबेटे के आईआईटीयन बनने के बाद अब उन्हें लग रहा है कि मेहनत का फल मिला है और बेटे का जीवन सुधर जाएगा. कृष्णकांत ने जेईई-मेन में 91 पर्सेन्टाइल स्कोर किया तथा जेईई-एडवांस्ड में आल इंडिया रैंक 924 प्राप्त की तथा ओबीसी में कैटेगरी रैंक 154 है. कृष्णकांत ने कड़ी मेहनत की और आईआईटी  कॉलेज में अपनी सीट पक्की कर ली. उसे आईआईटी कानपुर में सीएस ब्रांच मिलने की पूरी उम्मीद है.

पिता खेती के साथ करते हैं मजदूरीकृष्णकांत के पिता कमलेश साहू ने बताया कि डेढ़ एकड़ जमीन है, जिससे परिवार के खाने लायक अनाज हो जाता है. घर कच्चा है, मैं 12वीं एवं माता कुन्ती 8वीं कक्षा तक पढ़ी लिखी है. परिवार की जरूरतें होती हैं, इन्हें पूरा करने के लिए खेती के साथ दिहाड़ी मजदूरी करता हूं. मुझे लगता था कि यदि मैंने पढ़ाई कर ली होती तो आज जीवन कुछ और होता लेकिन अब कृष्णकांत को नहीं रोकना चाहता.

हम नहीं चाहते कि बच्चे भी हमारी तरह रोजमर्रा के जीवन के लिए संघर्ष करें. इसलिए रात-दिन मेहनत कर बच्चों को पढ़ा रहे हैं, ताकि उनका भविष्य संवर जाए.  कृष्णकांत की बड़ी बहन जूली साहू बीएससी कर चुकी है जबकि छोटा भाई शिवकांत 10वीं कक्षा में है.

सरकारी स्कूल से 10वीं 97.5 एवं 12वीं कक्षा 92.2 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण कीकृष्णकांत ने बताया कि मैंने 10वीं कक्षा 97.5 प्रतिशत एवं 12वीं कक्षा 92.2 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की है. उसकी प्रतिभा को देखते हुए गांव के एक प्राइवेट स्कूल ने कक्षा 6 से 10वीं तक उसे पूर्णतया निशुल्क शिक्षा दी. इसके बाद सागर जाकर सरकारी स्कूल से 11वीं एवं 12वीं कक्षा की पढ़ाई की. कृष्णकांत ने 12वीं कक्षा में पीसीएम के अलावा बॉयोलॉजी सब्जेक्ट भी लिया था. जिसमें भी उसने 100 में से 74 अंक हासिल किए थे. कोरोना में ऑनलाइन पढाई हुई तो मोबाइल के पैसे नहीं थे वर्ष 2020 में 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद कृष्णकांत 11वीं कक्षा में गया तो कोरोना ने पैर पसार लिए थे. ऐसे में विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई होने लगी. आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से कृष्णकांत के लिए मोबाइल की व्यवस्था करना आसान नहीं थी. इस वजह से करीब दो महीने तक उसकी पढ़ाई रूकी रही. बाद में किसी रिश्तेदार ने कृष्णकांत के लिए मोबाइल की व्यवस्था कि तब जाकर पढाई आगे बढी.  कोटा के फैकल्टीज ने मोटिवेट किया तभी मिली सफलताकृष्णकांत ने बताया कि मैंने 2022 में 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सेल्फ स्टडी कर जेईई मेन्स परीक्षा दी और 53 परसेन्टाइल स्कोर किए. स्कूल के टीचर्स ने बताया कि जेईई के लिए कोटा से तैयारी करो. मैंने कोटा आकर कोचिंग में एडमिशन लिया. इसके बाद जनवरी मेन्स 2023 की परीक्षा दी लेकिन, 76 परसेन्टाइल स्कोर किए थे. मैं काफी निराश हो चुका था. इसके बाद फैकल्टीज ने मोटिवेट किया. कमजोर टॉपिक्स पर फोकस किया और उन्हें मजबूत किया.

इसके बाद जेईई मेन्स अप्रैल 2023 के अटैम्प्ट में 91 परसेन्टाइल स्कोर किए फैकल्टीज ने बोला कि तू कर सकता है और आईआईटी की सीट तेरा इंतजार कर रही है.  इसके बाद एडवांस्ड की तैयारी में जुटा और ऑल इंडिया रैंक 924 एवं ओबीसी कैटेगिरी में रैंक 154 हासिल की. पिता का एक्सीडेंट हुआ, ताऊजी का निधन हुआ तब भी मुझे नहीं बताया  कृष्णकांत ने बताया कि मैं 7 मई 2022 को कोटा आ गया था. इसके बाद पापा और छोटे भाई का एक्सीडेंट हो गया था. पापा करीब एक महीने तक पलंग पर रहे लेकिन उन्होनें पूरे परिवार को बोल दिया था कृष्णकांत को इस बारे में कोई कुछ नहीं बताएगा. वो नहीं चाहते थे कि मेरी पढ़ाई डिस्टर्ब हो. करीब एक माह बाद मुझे इसके बारे में पता चला. इसके बाद मेरे ताऊजी का भी निधन हो गया लेकिन इस बार भी घरवालों ने मुझे नहीं बताया था. जॉब करने की जगह जॉब देना चाहता हूंकृष्णकांत ने बताया कि आईआईटी कानपुर में सीएस ब्रांच मिलने की उम्मीद है. इंजीनियरिंग के बाद कुछ समय के लिए जॉब करूंगा ताकि परिवार की स्थिति बेहतर कर सकूं. इसके बाद खुद का बिजनेस करूंगा. मेरी इच्छा है कि जॉब करने की जगह लोगों को जॉब दूं. गांव में बच्चों को पढ़ाई के बारे में जागरूक करूंगा ताकि वे भी अपने कॅरियर संवार सकें.

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