kota News: शैक्षणिक नगरी कोटा मां चर्मण्यवती की छांव में पल रही है, जहां चंबल माता का कोटा संभाग और आसपास के जिलों को वरदान है. वहीं प्रशासन की उदासीनता आम लोगों की जान पर भारी पड़ रही है. चंबल, नहरों और तालाब के साथ कुंडों में आए दिन हादसे हो रहे हैं. लोग आत्महत्या कर रहे हैं.

कई दुर्घटनाएं हो रही हैं. पिकनिक स्पॉट पर हादसे लगातार देखे जा रहे हैं लेकिन उसके बाद भी मूकदर्शक बना प्रशासन कोई पहल नहीं करता जिससे कई लोगों के घरों के चिराग बुझ जाते हैं.

कोटा शहर में बरसात के दिनों में हमेशा ही लोगों की मौत की सूचनाएं सामने आती हैं. कुछ दिनों पूर्व ही भंवर कुंज में दो इंजीनियरिंग छात्रों की डूबने से मौत हो गई वहीं रावतभाटा हो चाहे गेपरनाथ हो कई हादसे अब तक यहां हो चुके है. प्रतिवर्ष 40 लोगों की डूबने से कोटा में मौत होती है.

पानी में अठखेलियां जान को दावत देती हैंकोटा शहर पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी ने एक वीडियो जारी कर लोगों से अपील की है कि वह पिकनिक स्पॉट पर अनावश्यक अठखेलियां नहीं करें. कई जगह चट्टाने हैं गहराई है वहां पर नहीं जाए. अपने परिजनों की सुरक्षा का ध्यान रखें लहरों में लोग अठखेलियां करते हैं नहाते हैं वह भी सावधान रहें. जिन्हें तैरना नहीं आता वह तो पानी के पास तक नहीं जाएं. ऐसे में इस अपील का क्या सार्थक असर होगा यह कहना तो मुश्किल है लेकिन इन हादसों को रोकने के लिए पहल तो करनी होगी.

नहरों में मरते हैं सबसे अधिक लोग, जहां डूब रहे वहां भी सुरक्षा नहींकोटा में खेतों में सिंचाई के लिए मुख्य दाई और बाई नगहर निकल रही हैं जो सैकडों किलोमीटर दूर तक जाती है और यह नहरें कोटा शहर के बीच से होकर निकल रही हैं जहां घनी बस्तियां हैं. ऐसे में यहां लम्बे समय से सेफ्टी वॉल की मांग उठाई जा रही है. कोई साइन बोर्ड तक नहीं है. ना ही पिकनिक स्पॉट पर सुरक्षा गार्डों की व्यवस्था की गई है, जिसका खामियाजा यहां की जनता को भुगतना पड़ रहा है.

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