Dacoit Ambika Patel Story: कहा जाता ही की इंसान कुछ भी करना चाहे लेकिन होता वही है जो ईश्वर चाहता है इंसान के नसीब में जो लिखा है वही उसे मिलता है. इंसान सही रास्ते पर चल रहा होता है लेकिन अचानक कुछ ऐसी घटनाएं घट जाती है जिससे सब कुछ बदल जाता है. 6 लाख के इनामी डकैत अंबिका पटेल की डाकू बनने की कहानी भी ऐसी है की अंबिका पटेल बनना चाहता था डॉक्टर लेकिन बन गया खूंखार डकैत. 

आज से लगभग 51 साल पहले उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के लोखरिया गांव में 7 अप्रैल 1972 में हुआ था. पर्जन्य ने उसका नाम रख दिया अंबिका पटेल. अंबिका पटेल पढ़ने लिखने में होशियार था और उसने 1992 में ग्रेजुएशन कर लिया. पटेल का सपना था डॉक्टर बनने का. लेकिन उसकी किस्मत कुछ और ही था. उसी साल अंबिका पटेल के परिवार में ऐसी घटना घटित हुई की डॉक्टर बनने की जगह अंबिका पटेल को उत्तर भारत का बेरहम और कुख्यात डकैत बना दिया. और लोग अंबिका पटेल को ठोकिया के नाम से जानने लगे. 

यहां से शुरू हुई डकैत बनने की कहानी बताया जाता है की 1992 में ही अंबिका की बहन के साथ एक लड़के ने रेप की वारदात को अंजाम दिया, जिसके बाद बहन ने अपने भाई को पूरी घटना बताई. परिवार वालों की बदनामी के डर से वह इस घटना को छुपा रही थी. अंबिका पटेल ने पुलिस में अपनी बहन के साथ रेप होने की शिकायत देकर कार्रवाई करने को कहा लेकिन पुलिस ने उसकी नहीं सुनी और उसे भगा दिया. गांव में पंचायत बुलाई गई लेकिन पंचायत में आये पांच पटेलों ने उल्टा अंबिका की बहन के चरित्र पर ही सवालिया निशान लगाये. दोनों भाई बहनो को पंचायत में जलील किया गया. पंचायत में अंबिका पटेल ने उस लड़के को बहन से शादी करने के लिए कहा लेकिन वह नहीं माना और यहीं से अंबिका के जीवन नए जीवन की कहानी शुरू होती है.       अंबिका पटेल ने उस लड़के की हत्या कर दी और बीहड़ में ददुआ डाकू की शरण में चला गया. ददुआ डाकू की गैंग में शामिल होने के बाद अंबिका लूट, अपहरण जैसी घटनाओं को अंजाम देने लगा. जिस लड़के की हत्या अंबिका पटेल ने की थी वह भी डाकू ओमनाथ का भतीजा था. इस लिए डाकू ओमनाथ ने अंबिका की हत्या करने की मुनादी करवा दी थी. अंबिका ने भी अपनी ताकत को बढ़ाना शुरू कर दिया था. 

मुखबिर को उतारा मौत के घाटअंबिका पटेल दशहरे के अवसर पर अपने गांव आया था, जिसकी मुखबिरी गांव के ही कलुआ निषाद नाम के व्यक्ति ने पुलिस में कर दी. गांव को पुलिस ने चरों तरफ से घेर लिया और अंबिका पुलिस को चकमा देकर किसी तरह वहां से निकल गया. लेकिन दो दिन बाद ही अंबिका ने गांव में जाकर मुखबिरी करने वाले कलुआ निषाद को दिनदहाड़े मौत के घाट उतार दिया. अंबिका ने गांव वालों को उसकी बहन के साथ रेप करने वाले लड़के के परिवार वालों से कोई भी संबंध रखने के लिए मना कर दिया. अंबिका पटेल डाकू ओमनाथ को भी ठिकाने लगाने का प्रयास करता रहा. उसे सूचना मिली की 16 जुलाई 2003 को ओमनाथ अपने घर रुकने वाला है. अंबिका पटेल ने उसके घर पर हमला बोल दिया और घर में आग लगा दी. डाकू ओमनाथ तो बचकर भाग निकला लेकिन अंबिका पटेल ने 6 लोगों की हत्या कर दी थी. अंबिका किसी की भी हत्या करता था तो कहता की ठोक दिया इसीलिए अंबिका का नाम भी ठोकिया पड़ गया लोग उसे ठोकिया कहने लगे थे. 

घोषित हुआ 6 लाख का ईनामइस घटना के बाद अंबिका उर्फ ठोकिया डाकू का तीन राज्यों में आतंक फैलने लगा. कुछ ही समय में ठोकिया डाकू पर लगभग 80 मामले दर्ज हो गए. ठोकिया सरकारी कर्मचारी और रसूखदारों को अपना शिकार बनाने लगा था. उत्तर प्रदेश में 2007 में बहुजन समाज पार्टी की मायावती के नेतृत्व में सरकार बन गई थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने डकैतों के खिलाफ कार्यवाई करने के आदेश दिए, जिस पर एसटीएफ ने कार्रवाई करते हुए ददुआ डकैत को मार गिराया. ददुआ डकैत को मारकर वापस लौट रही एसटीएफ की टीम पर अंबिका उर्फ ठोकिया ने हमला कर 6 पुलिसकर्मियों और एक मुखबिर को मौत के घाट उतार दिया गया. 6 पुलिसकर्मियों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश की सरकार ने ठोकिया पर 6 लाख का ईनाम घोषित कर दिया. 

2008 में मुठभेड़ में मारा गया था ठोकिया पुलिस को 2008 में सूचना मिली थी की अंबिका उर्फ ठोकिया कर्वी क्षेत्र में आने वाला है. पुलिस ने तुरंत ही सिलखोरी के जंगलों को घेर लिया और फिर दोनों तरफ से फायरिंग शुरू हो गई. लगभग 7 घंटे तक रुकरुक कर पुलिस और डाकुओं की मुठभेड़ होती रही. और आखिर में अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया पुलिस की मुठभेड़ में मारा गया.

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