राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने तीन दिवसीय प्रवास पर इन दिनों जोधपुर में हैं. रविवार (23 नवंबर) को सर्किट हाउस में आयोजित एक्सप्रेस वार्ता में गहलोत ने कई राष्ट्रीय और प्रदेश स्तरीय मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात रखी. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार पर जमकर निशाना साधा.
गहलोत ने आरोप लगाया कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के समय जिन योजनाओं और जनहितकारी परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही थी, उन्हें बीजेपी सरकार ने सत्ता में आते ही या तो धीमा कर दिया या पूरी तरह बंद कर दिया.
उन्होंने कहा की हमारी सरकार में हमने कभी भी पूर्ववर्ती सरकारों की योजनाओं को नहीं रोका. लेकिन इस सरकार ने हमारे कामों पर रोक लगा दी है. करोड़ों रुपए खर्च कर तैयार की गई कई बिल्डिंग वीरान पड़े हैं. यह सरकार का आपराधिक कृत्य है.
चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल
गहलोत ने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए वोट चोरी के मुद्दे का समर्थन करते हुए चुनाव आयोग के रवैये पर गंभीर सवाल उठाए. उनका कहना था कि राहुल गांधी ने जो तथ्य सामने रखे हैं, उनका चुनाव आयोग कोई स्पष्ट और ठोस जवाब नहीं दे पा रहा है.
उन्होंने कहा 2002 से अब तक कभी ऐसी स्थिति नहीं बनी. बिहार में 63 लाख मतदाताओं के नाम एक ही बार में काट दिए गए—यह अत्यंत गंभीर विषय है. चुनाव आयोग को इसका जवाब देना चाहिए.
बिहार के 63 लाख वोटरों का मुद्दा उठाया
गहलोत ने बीजेपी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि यदि बिहार में 63 लाख नाम काटे गए हैं, तो बीजेपी बताए, इनमें कितने ‘घुसपैठिए’ थे? कितनों को गिरफ्तार किया गया? कितनों को देश से बाहर भेजा गया? बीजेपी सिर्फ आरोप लगाती है, लेकिन सबूत कभी नहीं देती.
राजस्थान में SIR को राहुल गांधी के दबाव का परिणाम बताया
गहलोत ने कहा कि राजस्थान में जारी की गई SIR (Special Summary Revision) की प्रक्रिया कहीं न कहीं राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों का ही परिणाम है. उन्होंने कहा कि देशभर में चुनावी सूचियों से जुड़े अनियमितताओं को लेकर जो माहौल बना है, उससे सरकार और आयोग दबाव में हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री से पत्रकारों ने सवाल किया कि अगली बार आपकी सरकार आती है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा हमेशा की तरह इस बार नहीं बोला कि मैं ही मुख्यमंत्री बनेगा वरना हमेशा जब भी मीडिया से बात करते थे तो वह कहते थे कि मुख्यमंत्री तो मैं ही बनूंगा.