Bharatpur News: भरतपुर (Bharatpur) को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और टीटीजेड से मुक्त कराने के लिए शुक्रवार को जिले के विभिन्न संगठनों ने जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम का ज्ञापन दिया. साथ ही भरतपुर जिले को एनसीआर और टीटीजेड से बाहर करने की मांग की. विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 हट सकती है तो भरतपुर को एनसीआर और टीटीजेड से मुक्त क्यों नहीं किया जा सकता.
भरतपुर के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि जिले को एनसीआर और टीटीजेड से मुक्त कराने के लिए जन जागरण अभियान चलाया जाएगा. यही नहीं जरूरत पड़ी तो इसके लिए आंदोलन भी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड द्वारा एनसीआर क्षेत्र के लिए गाइडलाइन जारी की जाती है. उसी के अनुरूप जिले का प्रशासन व्यवस्था करता है. राजस्थान के दो जिलों अलवर और भरतपुर में एनसीआर के वाहनों के लिए बनाए गए नियम लागु होते हैं.
भरतपुर को एनसीआर और टीटीजेड से मुक्त करने की मांग विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि एनसीआर के वाहनों के नियम के तहत 15 साल ही वाहन को चला सकते हैं. उसके बाद वहां का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा, जबकि अलवर और भरतपुर को छोड़कर राजस्थान के अन्य जिलों में 15 साल के बाद पांच साल के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है. भरतपुर जिले को एनसीआर से पाबंदियों के अलावा कुछ नहीं मिला है. इसलिए यहां के लोगों की मांग है कि भरतपुर को एनसीआर और टीटीजेड से मुक्त किया जाए.
भरतपुर व्यापार महासंघ के जिला अध्यक्ष ने क्या कहाभरतपुर व्यापार महासंघ के जिला अध्यक्ष संजीव गुप्ता ने कहा कि जिले को एनसीआर में शामिल होने का कोई फायदा नहीं मिला है. भरतपुर में रहने वाले लोगों को बंदिशों का सामना करना पड़ रहा है. संजीव गुप्ता ने कहा कि भरतपुर के एनसीआर में शामिल होने से यहां इंडस्ट्रीज बंद हो गई हैं. एनसीआर की गाइडलाइन से ही यहां इंडस्ट्रीज लग सकती हैं. डीजल के जनरेटर सैट भी बंद कर दिए गए हैं. यहां ईंट के भट्टे बंद हैं. भरतपुर का डेवलपमेंट बंद हो गया है. एनसीआर के हिसाब से यहां रेलवे स्टेशन का कोई विकास नहीं हुआ है.
भरतपुर बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक ने कहा कि एनसीआर के तहत यहां के ट्यूरिज्म क्षेत्र में भी कोई विकास नजर नहीं आ रहा है. वहीं भरतपुर बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक सुरेंद्र सिंह कसाना ने कहा कि टीटीजेड और एनसीआर को जिले पर थोपा गया है. एनसीआर में आने से भरतपुर में उद्योग धंधे बंद हो गए हैं. पहले भरतपुर में ईंट का उद्योग होता था. जिससे हजारों परिवारों को रोजगार मिलता था. भरतपुर को एनसीआर में होने का कोई फायदा नहीं हुआ है. एनसीआर क्षेत्र में 24 घंटे बिजली मिलती है, लेकिन भरतपुर में किसानों को मात्र छह घंटे बिजली मिल रही है.
एनसीआर और टीटीजेड से मुक्त न करने पर होगा आंदोलनभरतपुर बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक ने कहा कि यहां के युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है. नौजवान बेरोजगार होकर गुंडागर्दी करेगा, हथियार उठाएगा और लूटपाट करेगा. अगर भरतपुर को बचाना है और नौजवानों को रोजगार दिलाना है तो जिले को एनसीआर और टीटीजेड से मुक्ति दिलानी होगी. उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही भरतपुर को एनसीआर और टीटीजेड से मुक्त नहीं किया गया तो आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जब धारा 370 हट सकती है तो भरतपुर को एनसीआर और टीटीजेड से भी मुक्त किया जा सकता है.
गौरतलब है की भरतपुर जिले को एक जुलाई 2013 में एनसीआर में शामिल किया गया था. भरतपुर के साथ ही हरियाणा के दो जिलों भिवाड़ी और महेन्द्रगढ़ को भी एनसीआर में शामिल किया गया था. फिलहाल एनसीआर में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुल 19 जिले शामिल हैं.
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