वक्फ संशोधन बिल को लेकर देशभर में चर्चा तेज है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बुधवार (2 अप्रैल) को वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लोकसभा में पेश करेगी. इस बीच राजस्थान में अजमेर दरगाह के खादिमों (सेवक) का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रमुख संस्था 'अंजुमन' ने वक्फ (संशोधन) बिल 2024 का समर्थन करने वाले सदस्यों की तीखी आलोचना की है.
अजमेर दरगाह की संस्था ने वक्फ बिल का समर्थन करने वाले सदस्यों को मुसलमानों के हितों के खिलाफ काम करने वाले 'नॉन स्टेट एक्टर्स' करार दिया. खादिम सलमान चिश्ती का एक आर्टिकल सामने आने के बाद संस्था की ओर से यह आलोचना की गयी है.
सलमान चिश्ती ने आर्टिकल में विधेयक को बताया प्रोग्रेसिव
एक प्रमुख अखबार में प्रकाशित इस आर्टिकल में सलमान चिश्ती ने वक्फ बिल को मुस्लिम समुदाय के लिए प्रोग्रेसिव करार देते हुए इसका समर्थन किया है. यह विवाद उस वक्त और बढ़ गया जब केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस आर्टिकल को व्यावहारिक बताते हुए सोशल मीडिया पर शेयर किया.
'सलमान चिश्ती ने खादिमों के नाम का दुरुपयोग किया'
अंजुमन संस्था के सचिव सरवर चिश्ती ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ''सलमान चिश्ती दरगाह में सेवा करने वाले 5,000 खादिमों में से एक हैं. खादिमों की संस्था ने वक्फ बिल की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था. खादिम होने के नाते सलमान चिश्ती उस प्रस्ताव के खिलाफ नहीं जा सकते. उन्होंने खादिमों के नाम का दुरुपयोग किया है.''
सलमान चिश्ती दरगाह के प्रमुख नहीं हैं- सरवर चिश्ती
उन्होंने आगे ये भी कहा सलमान चिश्ती मीडिया से बातचीत में खुद को दरगाह प्रमुख के रूप में पेश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ''वह दरगाह के प्रमुख नहीं हैं, बल्कि खादिम हैं. मुझे उनके व्यक्तिगत रूप से विधेयक का समर्थन करने से कोई समस्या नहीं है लेकिन वह खुद को दरगाह प्रमुख के रूप में पेश करते हुए हमारे द्वारा पारित प्रस्ताव के खिलाफ कोई रुख नहीं अपना सकते.''
सरवर चिश्ती ने दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन अली खान के बेटे नसीरुद्दीन द्वारा विधेयक का समर्थन करने के लिए भी आलोचना की. चिश्ती ने दोहराया कि ऐसे लोग 'नॉन-स्टेट एक्टर्स' हैं, जो देश भर में मुस्लिम कम्युनिटी के सामूहिक हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं.