Punjab News: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने शनिवार को समान नागरिक संहिता (UCC) का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि इससे देश में अल्पसंख्यक समुदायों की विशिष्ट पहचान को नुकसान पहुंचेगा. एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी की अध्यक्षता में शीर्ष गुरुद्वारा निकाय की यहां हुई कार्यकारी समिति की बैठक में सदस्यों ने कहा कि देश में यूसीसी की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि संविधान ‘‘विविधता में एकता के सिद्धांत’’ को मान्यता देता है. 


‘विशिष्ट पहचान और धार्मिक सिद्धांतों को पहुंचेगा नुकसान’ 
SGPC अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि समान नागरिक संहिता को लेकर देश में अल्पसंख्यकों के बीच एक आशंका है कि इससे उनकी विशिष्ट पहचान और धार्मिक सिद्धांतों को नुकसान पहुंचेगा. एसजीपीसी ने यूसीसी को लेकर सिख बुद्धिजीवियों, इतिहासकारों, विद्वानों और वकीलों की एक उप-समिति का गठन किया है और प्रारंभिक समीक्षा के बाद, इसने समान नागरिक संहिता को अस्वीकार कर दिया है. इस उप-समिति में एसजीपीसी महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल, वरिष्ठ वकील पूरन सिंह हुंदल, एसजीपीसी सदस्य भगवंत सिंह सियालका, परमजीत कौर और किरणजोत कौर, प्रोफेसर कश्मीर सिंह, डॉ. इंद्रजीत सिंह गोगोआनी, डॉ. परमवीर सिंह और डॉ. चमकौर सिंह शामिल हैं. 


सिखों की अलग इकाई स्वीकार नहीं 
हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि बानी बाना (गुरबानी और पारंपरिक सिख पोशाक), बोल बाले (शब्द या विचार जो उदात्त या सर्वोच्च होने के साथ-साथ ऊंचे और सच्चे हैं), सिद्धांतों, परंपराओं, मूल्यों, जीवन शैली, संस्कृति, स्वतंत्र अस्तित्व और किसी भी चुनौती को चुनौती देते हैं। सिखों की अलग इकाई को कभी भी स्वीकार नहीं किया जा सकता और सिख मर्यादा को सांसारिक कानून परख नहीं सकता. इसलिए सिख समुदाय यूसीसी का विरोध करता है.


SGPC द्वारा UCC के विरोध पर सिरसा ने जताया आश्चर्य
SGPC द्वारा समान नागरिक संहिता का विरोध करने पर बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने आश्चर्य जताया है. उन्होंने कहा कि SGPC ये स्पष्ट करे कि जब कानून आयोग ने यूसीसी पर कोई मसौदा जारी नहीं किया तो वो अस्तित्वहीन यूसीसी का विरोध करने पर क्यों अड़ी है. सिरसा ने कहा कि कोई भी सरकार सिख परंपराओं के साथ छेड़छाड़ करने की हिम्मत नहीं कर सकती.


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