मोगा जिले में सतलुज नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. इसका असर आसपास के गांवों पर पड़ने लगा है. धर्मकोट इलाके के संघेड़ा, कंबो खुर्द और सेरेवाला समेत करीब 30 गांव पानी की चपेट में आ चुके हैं. खेतों में खड़ी हजारों एकड़ फसल डूब चुकी है और ग्रामीणों के सामने बड़ी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं.
नाव ही बना सहारा
गांवों के लोगों का कहना है कि वीरवार शाम 4 बजे से ही सतलुज का पानी बढ़ना शुरू हुआ. देखते ही देखते खेत लबालब भर गए और रास्ते भी डूबने लगे. अब हालात ऐसे हैं कि गांवों के अंदर आना-जाना भी मुश्किल हो गया है. लोग अपने घरों तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं.
ग्रामीणों ने अपने घर का सामान छतों पर पहुंचा दिया है. वहीं, पशुओं को भी ऊंचाई पर या फिर नदी के बांध पर बांध दिया गया है, ताकि अचानक पानी बढ़ने पर नुकसान से बचा जा सके. लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि पशुओं के लिए चारे का इंतजाम नहीं है, क्योंकि पूरा चारा पानी में डूब चुका है.
पीने के पानी की किल्लत
गांव वालों ने बताया कि बाढ़ जैसे हालात में सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की हो गई है. खेतों के साथ-साथ हैंडपंप और कुएं भी पानी में डूबने लगे हैं. ऐसे में साफ पानी की भारी कमी हो गई है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की ओर से अब तक कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं.
6 हजार एकड़ फसल पर संकट
जानकारी के मुताबिक सतलुज नदी के साथ लगते करीब 30 गांवों की करीब 6 हजार एकड़ फसल पूरी तरह पानी में डूब चुकी है. धान और मक्के जैसी फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं. अगर जलस्तर और बढ़ा या डैम से पानी छोड़ा गया, तो यह फसलें पूरी तरह खराब हो सकती हैं. इससे किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान होने की आशंका है.
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि हर साल बरसात के मौसम में यही स्थिति बन जाती है, लेकिन इस बार पानी का स्तर बहुत तेजी से बढ़ा है. लोग दिन-रात जागकर घरों और पशुओं को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अगर पानी और बढ़ा, तो हालात बिगड़ सकते हैं.
प्रशासन से मदद की गुहार
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तुरंत राहत सामग्री और पीने के पानी की व्यवस्था की मांग की है. लोगों का कहना है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में हालात और गंभीर हो सकते हैं.