पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने शुक्रवार को हरियाणा में साल 2003 से पहले बने स्कूलों को वर्तमान शैक्षणिक सत्र में छात्रों को प्रवेश देने के लिए अस्थायी मान्यता प्रदान की. जस्टिस सुधीर मित्तल ने ये आदेश हरियाणा स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. वहीं इससे पहले राज्य सरकार द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे. 


स्कूल एसोसिएशन ने 24 जनवरी, 2022 के मेमो को चुनौती दी थी, जिसके तहत हरियाणा स्कूल शिक्षा निदेशालय ने हरियाणा के सभी डीसी को निर्देश जारी किया था कि वे यह सुनिश्चित करें कि अस्थायी मान्यता वाले स्कूलों को 2022-2023 शैक्षणिक सत्र में छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति नहीं है.राज्य सरकार ने यह आदेश तब दिया क्योंकि स्कूलों को स्थायी मान्यता नहीं मिली थी और इसके बजाय उनकी अस्थायी मान्यता हर साल बढ़ाई जा रही थी.


हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम, 2003 को बनाया और लागू किया गया था. याचिकाकर्ता के वकील के अनुसार साल 2003 से पहले कुछ वर्गों के लिए स्टॉप गैप उपाय के रूप में अस्थायी मान्यता दी गई थी. वकील ने अदालत को बाताया कि अस्थायी और स्थायी मान्यता देने के मानदंड समान थे और इस प्रकार अस्थायी मान्यता देने का मतलब है कि उन्होंने सभी निर्धारित मानदंडों को पूरा किया.


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हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम 2003 के लागू होने के बाद इन स्कूलों को स्थायी मान्यता नहीं मिल सकी क्योंकि वे भूमि के मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं और वे इस स्तर पर ऐसा नहीं कर सकते हैं. सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार के वकील ने माना  कि साल 2003 से पहले की अस्थायी और स्थायी मान्यता प्रदान करने के मानदंड समान थे. अस्थायी मान्यता वाले याचिकाकर्ता संघ के सदस्यों को आगामी सत्र के लिए छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति दी जाएगी और इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को तय की गई है.