हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन टूट गया है. सूत्रों के मुताबिक, दुष्यंत चौटाला की तरफ से दो सीटें मांगी जा रही थीं. बीजेपी आला नेतृत्व एक सीट देने की बात मानने को तैयार था लेकिन दुष्यंत दो सीटों पर अड़े थे. बीजेपी प्रदेश नेतृत्व 10 सीटों पर लड़ना चाहती थी, क्योंकि सभी सीटों पर उसके सांसद हैं.


सूत्रों ने ये भी दावा किया कि, दुष्यंत चौटाला की पार्टी एक सीट हरियाणा में चाह रही थी. बीजेपी की हरियाणा यूनिट ने आलाकमान को ये रिपोर्ट सौंपी कि हमें एक भी सीट जेजेपी को नहीं देना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय नेतृत्व का भी यही रुख था. कुल मिलाकर बीजेपी का ये कहना था कि हमने सभी सीटें जीती हैं, हम किस लिहाज से उन्हें जीती हुई एक सीट दे दें. 


इस सियासी घटनाक्रम से पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और दुष्यंत चौटाला की मुलाकात हुई थी. आज के घटना की स्क्रिप्ट कल (11 मार्च) ही लिखी जा चुकी थी. सूत्रों की मानें तो बीजेपी के साथ रहने से दुष्यंत चौटाला को भी नुकसान हो रहा था. खासकर किसानों के आंदोलन के चलते पार्टी अपना नुकसान होता देख रही थी. दुष्यंत चौटाला को किसानों और जाटों की नाराजगी झेलनी पड़ रही थी. जिनता अरसा वो सरकार के साथ रहते, पार्टी को उतना नुकसान होता. 



सूत्रों की मानें तो हरियाणा में जो कुछ हुआ है उसमें ऐसा कुछ नहीं है कि चौटाला के पैर के नीचे से चादर खींच दी गई हो या उनको अचनाक सरकार से बाहर कर दिया गया हो.  


अब चौटाला किसानों को बीच जाकर ये संदेश दे सकते हैं कि हम इस सरकार से अलग हो चुके हैं. सूत्रों की मानों तो जेजेपी को लगता था कि एक बड़े जाट वर्ग ने विधानसभा चुनाव में पार्टी को वोट किया.  


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